tag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post2619444440081309496..comments2023-08-25T04:09:30.854-07:00Comments on विनय पत्रिका: स्वादमय विवाहित जीवन सम्भव नहीं-दिनकरबोधिसत्वhttp://www.blogger.com/profile/09557000418276190534noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-61611366411571314102007-10-07T23:43:00.000-07:002007-10-07T23:43:00.000-07:00ऐसी औरते कम हैं जिन्होंने प्रेम केवल एक ही बार किय...ऐसी औरते कम हैं जिन्होंने प्रेम केवल एक ही बार किया हो। जब प्रेम मरता है तो वह बची हुई चीज ग्लानि होती है, पश्चाताप होता है। प्रेम आग है, जलने के लिए उसे हवा चाहिए। आशा और भय के समाप्त होते ही प्रेम समाप्त हो जाता है ।<BR/><BR/>दिनकर जी के व्यक्तित्व के इस पहलू से परिचय पहली बार हुआ है। बोधिसत्व जी बचपन से जिस कवि को पढ़ते आए हों, उनके इस रूप से परिचय करवाने के लिए धन्यवाद।नीलिमा सुखीजा अरोड़ाhttps://www.blogger.com/profile/14754898614595529685noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-51418203080544331592007-10-07T10:16:00.000-07:002007-10-07T10:16:00.000-07:00यह तो तय है विशाल जी कि दिनकर को पाठ्यक्रमों ने बच...यह तो तय है विशाल जी कि दिनकर को पाठ्यक्रमों ने बचा लिया.....वर्ना हिंदी आलोचना और आलोचकों ने तो उनका क्रिया कर्म कर ही दिया था ।बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-80849388210357768142007-10-07T08:08:00.000-07:002007-10-07T08:08:00.000-07:00अच्छा लगा जानकर कि आखिर कुछ लोग तो दिनकर को ठीक से...अच्छा लगा जानकर कि आखिर कुछ लोग तो दिनकर को ठीक से याद कर रहे हैं, वस्तुत: <BR/>यह उल्लेखनीय है कि आज भी बीए की कक्षा में कम से कम दिनकर को पढ़ाते हुए मुझे छात्रों को यह नहीं बताना पड़ता कि हिन्दी कविता को पढ़ना इतना ज़रूरी क्यों है ..विशाल श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/04631992081517062854noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-2671965320651130842007-10-07T05:18:00.000-07:002007-10-07T05:18:00.000-07:00ज्ञान भाईज्ञानपुर वाले टंज जी ने मुझ पर दिनकर का ज...ज्ञान भाई<BR/>ज्ञानपुर वाले टंज जी ने मुझ पर दिनकर का जो नशा चढ़ाया वह आज तक नहीं उतरा। मैं भी दिनकर का भक्त हूँ....।<BR/>दिनकर जी की कीर्ति अक्षय हो....।बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-86979524384075771632007-10-07T05:01:00.000-07:002007-10-07T05:01:00.000-07:00भैया, शिव कुमार मिश्र दिनकर जी के फैन हैं। और हम श...भैया, शिव कुमार मिश्र दिनकर जी के फैन हैं। और हम शिवकुमार मिश्र के फैन और भाई। सो उनके चक्कर में दिनकर जी की कई पुस्तकें ले ली हैं और शिव को इम्प्रेस करने को दिनकर जी को पढ़ते रहते हैं! :-)Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-12879528081475594542007-10-07T03:38:00.000-07:002007-10-07T03:38:00.000-07:00बोधि भाई,बहुत-बहुत धन्यवाद इस पोस्ट के लिए.साहित्य...बोधि भाई,<BR/><BR/>बहुत-बहुत धन्यवाद इस पोस्ट के लिए.साहित्य के 'गम्भीर' हलकों में चुप्पी है तो क्या हुआ. बाकी के हलकों में चुप्पी नहीं रहेगी. दिनकर जी के बारे में आपने लिखने के लिए कहा है, एक कोशिश तो की जा सकती है......Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-23576459408048687282007-10-07T01:57:00.000-07:002007-10-07T01:57:00.000-07:00आलोक भाईसुखी और स्वाद में कोई कास फर्क नहीं है कम ...आलोक भाई<BR/>सुखी और स्वाद में कोई कास फर्क नहीं है कम से कम सुखी तो हैं....<BR/>शशि जी क्या आप सहारा का वह पन्ना भेंज सकते हैं...डाक से मेरे पते पर ।बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-19332950401451620362007-10-07T01:05:00.000-07:002007-10-07T01:05:00.000-07:00बोधि भाई दिनकर को लेकर मैं कभी जुनून की हद तक दीवा...बोधि भाई दिनकर को लेकर मैं कभी जुनून की हद तक दीवाना रहा हूँ. बचपन से मन मैं उनकी छवि किसी दिव्य पुरुष जैसी रही है. हिंदी आलोचना मे उन्हे जिस तरह नज़रअंदाज़ किया गया वह बौधिक अपराध था. अब नामवर जी ने भी माना कि अपने समय के सूर्य थे वे. पिछले दिनो उन पर डेलही मे जो आयोजन हुआ और उसमे जीतने दिनकर प्रेमी जुटे वह आश्चर्य जनक था,<BR/>शायद ही किसी हिंदी कवि को इतना सम्मान मिला हो. उस दिन सहारा मे मैने एक पूरा पेज निकाला था और आपको आश्चर्य होगा कि सिर्फ़ उसी पेज के लिए उक्त कार्यक्रम मे अख़बार कि 2000 प्रतिओ कि एडवांस बुकिंग हो गई थी. मेरे लिए यह अनोखा अनुभव रहा.<BR/>शशि भूषण द्विवेदीshashihttps://www.blogger.com/profile/13526003502183896334noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-18882840477007784322007-10-07T01:01:00.000-07:002007-10-07T01:01:00.000-07:00मसला स्वादमय विवाहित जीवन का नहीं है, सवाल यह है क...मसला स्वादमय विवाहित जीवन का नहीं है, सवाल यह है कि स्वादमय या विवाहित जीवन। <BR/>वैसे हम तो सुखी विवाहित जीवन स्कूल के हैं जी, स्वाद की तृष्णा मरवा कर छोड़ती है।ALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.com