tag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post2883416588954289525..comments2023-08-25T04:09:30.854-07:00Comments on विनय पत्रिका: आफत में धर्मबोधिसत्वhttp://www.blogger.com/profile/09557000418276190534noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-39686637663494028362010-05-03T20:23:06.270-07:002010-05-03T20:23:06.270-07:00हमें भी सीख मिल गई इससे जब नदी सामने बह रही हो तो ...हमें भी सीख मिल गई इससे जब नदी सामने बह रही हो तो :)विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-47500785937136446982007-08-02T22:52:00.000-07:002007-08-02T22:52:00.000-07:00बसंत जीप्रकाशक का पता बता कर मुझे आफत में नहीं पड़...बसंत जी<BR/>प्रकाशक का पता बता कर मुझे आफत में नहीं पड़नाबोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-92090081272001599972007-08-02T22:41:00.000-07:002007-08-02T22:41:00.000-07:00बोधिसत्वजी, आपका आपद्काल खत्म हो गया होगा. पर जो अ...बोधिसत्वजी, आपका आपद्काल खत्म हो गया होगा. पर जो अभी भी आपदकाल से गुजर रहे है उनके लिए उस प्रकाशक का पता भी दे देते तो अच्छा होताबसंत आर्यhttps://www.blogger.com/profile/15804411384177085225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-23859692410271567392007-08-02T18:16:00.000-07:002007-08-02T18:16:00.000-07:00विश्वामित्र ने भी श्वान का मांस खाया था - जीवित रह...विश्वामित्र ने भी श्वान का मांस खाया था - जीवित रहने को. शायद उसके बाद कुत्ता नहीं खाया होगा! <BR/>हां, कुछ लोग आपातकाल को ही सतत चलाते रहते हैं - वह गलत है.Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-34025370182896715272007-08-02T13:02:00.000-07:002007-08-02T13:02:00.000-07:00बड़ी इंटेलेक्चुअल किस्म की लोककथा है, भई? पीलवान...बड़ी इंटेलेक्चुअल किस्म की लोककथा है, भई? पीलवान और रातिब तो समझ गया, बाकी समझने के लिए सिर खुजला रहा हूं..azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-28177418396345978072007-08-02T12:17:00.000-07:002007-08-02T12:17:00.000-07:00भाई वाह! आपने तो इस लोक कथा को बिल्कुल नया अर्थ दे...भाई वाह! आपने तो इस लोक कथा को बिल्कुल नया अर्थ दे दिया.इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.com