tag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post3856612811246416720..comments2023-08-25T04:09:30.854-07:00Comments on विनय पत्रिका: विष रस भरा घड़ा था बोधिसत्वबोधिसत्वhttp://www.blogger.com/profile/09557000418276190534noreply@blogger.comBlogger34125tag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-44236570899035920742011-02-23T10:57:44.899-08:002011-02-23T10:57:44.899-08:00यही तत्व है, जिसे हम तलाशते फ़िर रहे हैं:)
मैं अगर...यही तत्व है, जिसे हम तलाशते फ़िर रहे हैं:)<br />मैं अगर वैसा होता, जैसा होना चाहा था, तो यकीन मानिये ऐसा ही होता।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-14052394927525683792008-03-07T04:43:00.000-08:002008-03-07T04:43:00.000-08:00"मैं किसी को प्रिय क्यों नहीं हूं" यह लिखना उन लोग..."मैं किसी को प्रिय क्यों नहीं हूं" यह लिखना उन लोगों के साथ अन्याय करना है जिनके आप प्रिय हैं। चाहने वाले होंगे, कम या ज्यादा , लेकिन होंगे। हैं जी। इसीलिये हम आपके कहने पर टिपिया रहे हैं और आपके कहने पर एक लम्बी पोस्ट भी लिख दिये। नाम भले न दिया हो वहां लेकिन इस पोस्ट के लिखने के पीछे इस लेख का हाथ रहा। पढिये ये पोस्ट <BR/><A HREF="http://hindini.com/fursatiya/?p=400" REL="nofollow">हम तुम्हें चाहते हैं ऐसे! </A>अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-60863751835509432232008-02-20T22:38:00.000-08:002008-02-20T22:38:00.000-08:00मुझे तो हमेशा लगता है कि मुझे कोई नही चाहता, तो फि...मुझे तो हमेशा लगता है कि मुझे कोई नही चाहता, तो फिर मै खुश हूँ, कम से कम ये उम्मीद तो न रही, अब सिर्फ अपने लिये जी सकते हूँ, क्यूँकि जब कोई चाहेगा तो उम्मीदे भी लगायेगा जब वो पूरी नही होंगी तो तकलीफ होगा, तो सारी तकलीफो से बच गयी। <BR/><BR/>वैसे चाहना ना चाहना एक अजीब सी कशमश, एक दुसरे की जरूरत, हमे करीब लाती है, फिर उस जरूरत मे कुछ अलग सी उम्मीद भे जगती है, उम्मीदो पर जब रिश्ते खरे उतरते हैं तो चाहत बढ़ती है, जिस दिन उम्मीद् टूट जाती है, चाहत भी खत्म।<BR/><BR/>ये अलग बात है कि कुछ लोगो कि जरूरत हमे जिन्दगी भर होती है, और जब तक वो रिश्ता हमारी जरूरतो पर खरा उतरता है, हमारी चाहत जिन्दगी भर बनी रहती है, और कई रिश्ते कुछ महीनो मे टूट जाते हैं।<BR/><BR/><BR/>मेरे ख्याल से ज्यादा हो गया, माफी चाहती हूँ।<BR/><BR/><BR/>बस इतना कहना है कि खुश रहिये, क्यूँकि हमे सबसे ज्यादा अपनी जरूरत होती है, खुद को प्यार किजिये और मस्त रहिये :)गरिमाhttps://www.blogger.com/profile/12713507798975161901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-7434226106357390442008-02-20T19:50:00.000-08:002008-02-20T19:50:00.000-08:00रो रो के और इश्क में तुम पाक हो गए........रो रो के और इश्क में तुम पाक हो गए........ Kumar Mukulhttps://www.blogger.com/profile/04890735360499335970noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-62405149903627584742008-02-19T22:05:00.000-08:002008-02-19T22:05:00.000-08:00khoob roomal batora bodhi bhaiya aapne, mhilaen bh...khoob roomal batora bodhi bhaiya aapne, mhilaen bhi bichhi ja rhi hain lge rhiye.aansu bahane me bade maje re bhaiya...Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/12313797805658263500noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-40640881416979024762008-02-19T20:12:00.000-08:002008-02-19T20:12:00.000-08:00अरे अरे ..ज़रा ठहरिये तो ...वाकई आसपास सब अधकचरा ही...अरे अरे ..ज़रा ठहरिये तो ...<BR/>वाकई आसपास सब अधकचरा ही है और ऐसा सोचते रहने की नियति है हम सब की ।<BR/>सबके साथ यह कभी न कभी घटता है ..<BR/>अगली पोस्ट में आप फिर सकारात्मक होंगे सवयमेव ही :)सुजाताhttps://www.blogger.com/profile/12373406106529122059noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-68451335441692670412008-02-19T19:34:00.000-08:002008-02-19T19:34:00.000-08:00२८ वीं टिप्पणी सिर्फ़ यह बताने के लिए कि हम भी आपक...२८ वीं टिप्पणी सिर्फ़ यह बताने के लिए कि हम भी आपके साथ हैं।Arun Adityahttps://www.blogger.com/profile/11120845910831679889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-56742613644819727352008-02-19T17:18:00.000-08:002008-02-19T17:18:00.000-08:00क्या बोधि भाईये तो वही बात हुई कि पहले सबसे दूर जा...क्या बोधि भाई<BR/>ये तो वही बात हुई कि पहले सबसे दूर जाने की कोशिश कीजिए। सबसे अलग दिखने-जाने जाने की कोशिश कीजिए। सबसे थोड़ा बड़ा होने की कोशिश कीजिए। जब सब हो जाए तो, कहिए कि अब क्या तो, मैं अकेला हो गया। दिन-दिन भर जिन मित्रों के साथ आप बतियाने औ आज उनके कटियाने की बात कर रहे हैं। जरा बताइए ना उनसे बतियाते समय कित्ती बार अहसास कराते थे कि आप क्यों बंबइया हुए औ ऊ लोग क्यों इलाहाबादै में मरे जाइ रहे हैं। ई सब छोड़िए। जो, आप अच्छा कर सकते हैं। वही करिए। बधाई हो इस तरह की पोस्ट से सब सिर्फ टिप्पणी बटोरते थे। आपको तो, पूरी फौज मिल गई है।Batangadhttps://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-85076580033348102752008-02-19T07:44:00.000-08:002008-02-19T07:44:00.000-08:00आत्मविश्लेषण की प्रक्रिया चलती रहनी चाहिए इस बात स...आत्मविश्लेषण की प्रक्रिया चलती रहनी चाहिए इस बात से तो सहमत हूं और यह आत्मविश्लेषण अपने प्रति निर्मम हो कर होना चाहिए यह मानता हूं लेकिन यदि अति निर्मम हो गए तो सब कुछ व्यर्थ सा लगने लगेगा, आपके साथ यही होता दिख रहा है, कम से कम इस पोस्ट को पढ़कर तो लग रहा है।<BR/><BR/>आशा है जल्द ही इस मन:स्थिति से निकल जाएंगे।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-46136412876141472382008-02-19T07:35:00.000-08:002008-02-19T07:35:00.000-08:00बोधि जी हम तो सोचे थे कि आप जैसे बुद्धजीवीयों को य...बोधि जी हम तो सोचे थे कि आप जैसे बुद्धजीवीयों को ये रोग नहीं सताता सिर्फ़ हम जैसे कम बुद्धी वालों को ही ये रोग लगता है। आप की हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी जो अपने रिसते घाव खोल कर दिखा दिए, हम तो बरसों से इन्हें छिपाने की असफ़ल कौशिश कर रहे थे, बड़ी मुश्किल से अब पपड़ी जमाई है इन पर्। कभी बात किजिएगा आप को भी गुर बता देंगें…।:)Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-33160191473383122972008-02-19T05:47:00.000-08:002008-02-19T05:47:00.000-08:00बहुत स्वाभाविक है बोधि भाई यह मन:स्थिति ! कभी कभी ...बहुत स्वाभाविक है बोधि भाई यह मन:स्थिति ! कभी कभी हमें भी यही लगता है कि कोई अपना सच्चा दोस्त नहीं ..सब निस्सार है ..और भी अगडम बगडम..! पर सब ठीक ही होता है ! कभी हम भी मिल बांटेगे आपसे यह सब !Neelimahttps://www.blogger.com/profile/14606208778450390430noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-36562387803969723212008-02-19T04:55:00.000-08:002008-02-19T04:55:00.000-08:00रे मन काहे धीर ना धरे.ठन्डा पानी पीकर शांत होने का...रे मन काहे धीर ना धरे.ठन्डा पानी पीकर शांत होने का प्रयास कीजीये. ये सभि के साथ होता है यदा कदा ,वो सुना है ना,"चक्के पे चक्का रेले पे रेला,है भीड कितनी पर दिल अकेला,पर दिल अकेला,गम जब सताये सीटी बजाना,पर मसखरे से दिल ना लगाना..:)Arun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-3822257209922329122008-02-19T04:04:00.000-08:002008-02-19T04:04:00.000-08:00आपकी पोस्ट पढ़कर मन कुछ विचलित हो गया।आपकी पोस्ट पढ़कर मन कुछ विचलित हो गया।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-65144136457978426642008-02-19T03:40:00.000-08:002008-02-19T03:40:00.000-08:00साथी, सच्चाई यही है कि हम "सब" अकेले हैं,साथी, सच्चाई यही है कि हम "सब" अकेले हैं,VIMAL VERMAhttps://www.blogger.com/profile/13683741615028253101noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-40861296414330635902008-02-19T03:10:00.000-08:002008-02-19T03:10:00.000-08:00भाई, जरा पता कर लो - अगर पूरी समग्रता से बोधिसत्त्...भाई, जरा पता कर लो - अगर पूरी समग्रता से बोधिसत्त्व ही हो तो कोई परेशानी नहीं। <BR/>यह बुद्धिविलास तो चलता है। हम भी बूडते उतराते हैं। बस ज्ञानदत्त पाण्डेय का मानसिक चोला नहीं छोड़ते।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-44716980407861084442008-02-19T02:14:00.000-08:002008-02-19T02:14:00.000-08:00झाड़ और झांखर पढ़ेंझाड़ और झांखर पढ़ेंअजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-50319449322206263952008-02-19T02:13:00.000-08:002008-02-19T02:13:00.000-08:00यह संसार आग औ झाँखड़, आग लगि बरि जाना है..क्या महा...यह संसार आग औ झाँखड़, आग लगि बरि जाना है..<BR/><BR/>क्या महाराज, काहे प्रेम, लगन, सनेह की फिक्र में दुबले हो रहे हैं। गरियाओ आप तो । ये पक्का मानकर चलें कि हम लोकप्रिय होने नहीं आए हैं। वो तो अपने आप मिलती है। मिलेगी तो वर लेंगे उसे भी। बाकी तो गालियां ही खानी हैं, तो गरियाने से भी न चूकें। दुर्वासा और परशुराम से प्रेरणा लें महाराज।<BR/>रात तक तो अच्छे भले थे आप । ठीक ठीक सी बातें हो रही थी। फिर ये कैसा आत्मज्ञान , कैसी सन्निपाति बातें ? मुंबई में अभी से लू चलने लगी है क्या ?अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-14182213908043822382008-02-19T01:50:00.000-08:002008-02-19T01:50:00.000-08:00काहे री नलिनी तूँ कुम्हलानीतेरे ही नाल सरोवर पानीकाहे री नलिनी तूँ कुम्हलानी<BR/>तेरे ही नाल सरोवर पानीबोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-10232852547357637312008-02-19T01:33:00.000-08:002008-02-19T01:33:00.000-08:00ये क्या हुआ??ये वो बोधि भाई नहीं हैं, जिनसे मैं मि...ये क्या हुआ??<BR/><BR/>ये वो बोधि भाई नहीं हैं, जिनसे मैं मिला था-बम्बई में. लगता है पूरा ब्लॉग ही चोरी हो गया. बचोगे नहीं, आज ही असली बोधि भाई को फोन लगा कर उनके ब्लॉग पर हुई इस हरकत की खबर देता हूँ. <BR/><BR/>मुझे मालूम है वो हँस देंगे, बस्स्स!!! यही तो खराबी है उनमें.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-736131332344011342008-02-19T01:22:00.000-08:002008-02-19T01:22:00.000-08:00आत्म-मंथन/विश्लेषण ठीक पर यह आत्मदया/ आत्म-भर्त्सन...आत्म-मंथन/विश्लेषण ठीक पर यह आत्मदया/ आत्म-भर्त्सना क्यों ?<BR/><BR/>जिसकी कविताओं से पाठक जीने का सलीका सीखते हों और मायने पाते हों,जिसकी रचनाओं के पास वे अपने को जांचने-परखने आते हों, उसे यह सब कहने का हक नहीं होता . नहीं होना चाहिए . उसे बेचैन भी होना होगा तो अपने निजत्व के निबिड़ एकांत में और उसे कोई और वस्तुपरक रचनात्मक शक्ल देनी होगी .<BR/><BR/>कहीं मैं फिरी-फोकट वल्लभाचार्यनुमा तो प्रतीत नहीं हो रहा हूं ? <BR/><BR/>रही बात अभिन्न मित्रों की उपेक्षा-अनमनेपन और तोताचश्मी की तो फोन उठाइए और जब जिसे जी चाहे कोई ठाठदार-वजनदार,प्रचलनबाह्य होती जा रही देशज गाली दीजिए जिससे पट्ठे के कान के कीड़े झड़ जाएं,दिमाग की सैटिंग दुरुस्त हो जाए और उसका सिस्टम 'रिबूट' हो जाए .Priyankarhttps://www.blogger.com/profile/13984252244243621337noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-60254135513370989732008-02-19T00:32:00.000-08:002008-02-19T00:32:00.000-08:00बहुत खूब थोड़ा धीरज रखेबहुत खूब थोड़ा धीरज रखेसमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-62701245003570177082008-02-19T00:31:00.000-08:002008-02-19T00:31:00.000-08:00बहुत खूब थोड़ा धीरज रखेबहुत खूब थोड़ा धीरज रखेसमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-46825180585071640352008-02-19T00:30:00.000-08:002008-02-19T00:30:00.000-08:00संभावनाऎं अनंत है...उन्ही संभावनाओं में हम जी रहे ...संभावनाऎं अनंत है...उन्ही संभावनाओं में हम जी रहे हैं...आप ऎसा सोच रहे हैं तो अभी आप पतित नहीं हुए...आलोक जी चैयरमैन बना चुके हैं आपको...थोड़ा और पतित होइये..फिर देखिये जिन्दगी कितनी हसीन है...:-)काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-24930704925274381942008-02-19T00:16:00.000-08:002008-02-19T00:16:00.000-08:00मेरे दिल की बात कह दी आपने.. मैं भी अपने बारे में ...मेरे दिल की बात कह दी आपने.. मैं भी अपने बारे में ऐसा ही सोचता हूं..PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-30153134295766403802008-02-19T00:13:00.000-08:002008-02-19T00:13:00.000-08:00गुरुवर आपने मुझे भी कुछ लिखने पर विवश कर दिया है, ...गुरुवर आपने मुझे भी कुछ लिखने पर विवश कर दिया है, यहां देखें <BR/><BR/>http://ashishmaharishi.blogspot.com/2008/02/blog-post_19.htmlAshish Maharishihttps://www.blogger.com/profile/04428886830356538829noreply@blogger.com