tag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post5607340747263699977..comments2023-08-25T04:09:30.854-07:00Comments on विनय पत्रिका: दूबे मेरी इज्जत लूटना चाहता थाबोधिसत्वhttp://www.blogger.com/profile/09557000418276190534noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-10711163918597823412010-05-03T20:12:56.512-07:002010-05-03T20:12:56.512-07:00हम तो आज पहुँच पाये आपकी इस पोस्ट पर, वाकई इस तरह ...हम तो आज पहुँच पाये आपकी इस पोस्ट पर, वाकई इस तरह के वाकये देश के हर हिस्से में पाये जाते हैं, समाज में दुबे जैसे बहुत सारे लोग हैं और उनसे बच्चों को बचाना बहुत जरुरी है और ऐसे लोगों को नंगा करना भी बहुत जरुरी है।विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-48501321412295458052007-09-29T23:40:00.000-07:002007-09-29T23:40:00.000-07:00आपकी प्रत्युत्पन्नमति के साथ-साथ तमाचा जड़ने का आप...आपकी प्रत्युत्पन्नमति के साथ-साथ तमाचा जड़ने का आपका कदम भी प्रशंसनीय है. बेहतर होता कि उसे भरे समाज में वैसे ही नंगा करके पीटते.इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-90659474389803660472007-08-24T22:41:00.000-07:002007-08-24T22:41:00.000-07:00आपकी बेबाकी, साह्स और निडरता को सलाम करता हँ...आपकी बेबाकी, साह्स और निडरता को सलाम करता हँ...विजेंद्र एस विजhttps://www.blogger.com/profile/06872410000507685320noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-84196910019657943992007-08-16T09:45:00.000-07:002007-08-16T09:45:00.000-07:00मित्रों बड़े ही दारुण और दुखद रास्तों से चल कर हम ...मित्रों <BR/>बड़े ही दारुण और दुखद रास्तों से चल कर हम बड़े हुए। कभी-कभी अजीब लगता है कि हम बच कैसे गये। हमें तो कहीं सुरियाँवा, भदोही, ज्ञानपुर या विंध्याचल में बह बिला जाना था। पीछे पलट कर देखता हूँ तो दुख नहीं कटुता से मन खिन्न हो जाता है। पर मुझे लगता है कि पूरा देश ही ऐसा है। मैं सुरियाँवा नहीं सोनभद्र में होता तो भी यही सब होता। कोशिश करूँगा कि कभी और कुछ अनुभवों से आप सब को परिचित कराऊँ।बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-23144357806205334842007-08-16T07:49:00.000-07:002007-08-16T07:49:00.000-07:00काबिले तारीफ़ है आपका साहस । कितनी सरलता से आपने अप...काबिले तारीफ़ है आपका साहस । कितनी सरलता से आपने अपनी बात सभी तक पहुँचा दी है।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-55870890304364191692007-08-16T07:25:00.000-07:002007-08-16T07:25:00.000-07:00ह्म्म, तारीफ़ स्वीकार करें, तब वह कदम उठाने के लिए ...ह्म्म, तारीफ़ स्वीकार करें, तब वह कदम उठाने के लिए और आज यह कदम उठाने के लिए!!<BR/><BR/>ऐसा ही एक संस्मरण हमारे पास भी है, तब हम तो उन महाशय पे हमला कर के कल्टी हो गए थे। पानी का भरा गिलास सीधे उनके मुंह पे दे मारा और फ़टाक से कमरे से बाहर हो लिए थे!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-5495728195107773202007-08-16T06:43:00.000-07:002007-08-16T06:43:00.000-07:00बिना हिचक ऐसे अनुभव बच्चों तक पहुंचना चाहिये ताकि ...बिना हिचक ऐसे अनुभव बच्चों तक पहुंचना चाहिये ताकि वे ऐसे खतरों से सावधान रहे व खुद को बचायें. ज़ब में आई आई टी कानपुर का विद्यार्थी था, तब मेरे होस्टल मे केंटीन चला रहे ठेकेदार ने वहां काम करने वाले छोटू के साथ ऐसा दुषप्र्यास किया था. होस्टल के छात्रों ने ऐसा मारा कि केंटीन का ठेका ही छोड्कर भाग गया था.डा.अरविन्द चतुर्वेदी Dr.Arvind Chaturvedihttps://www.blogger.com/profile/01678807832082770534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-20340251303080685362007-08-16T05:26:00.000-07:002007-08-16T05:26:00.000-07:00यह लिख कर बहुत अच्छा किया. समस्या पर चर्चा तो हो.यह लिख कर बहुत अच्छा किया. समस्या पर चर्चा तो हो.Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-19743275860511004232007-08-16T04:56:00.000-07:002007-08-16T04:56:00.000-07:00बहुत साहसी,बेहद ज़रूरी और सतर्क करने वाली पोस्ट . ह...बहुत साहसी,बेहद ज़रूरी और सतर्क करने वाली पोस्ट . हम जो अब बच्चों के मां-बाप हैं उन्हें अतिरिक्त सावधानी तो बरतनी ही होगी .बच्चों को अच्छे और बुरे स्पर्श में फ़र्क करना सिखाना होगा . विदेशों में यह काम आसान है पर हम बहुत ही भावप्रवण और स्पर्श करके प्रेम जताने वाला समाज हैं अतः यह काम मुश्किल हो जाता है . पर करना तो होगा ही .<BR/><BR/>यौन शिक्षा बहुत ज़रूरी है . पर हमारे यहां काम कम और हो हल्ला ज्यादा होता है. लोग 'यौन' नाम से ही बिदक जाते हैं . क्या इसे पाठ्यक्रम में स्वास्थ्य शिक्षा के अन्तर्गत नहीं रखा जा सकता ? <BR/><BR/>कुछ वर्ष पहले पिंकी विरानी की पुस्तक 'बिटर चॉकलेट' पढी थी और माथा सुन्न-सा होने लगा था घर के भीतर के दुष्चक्र को देखकर . इस पोस्ट से वह किताब पुनः दिमाग में घूम गई .Priyankarhttps://www.blogger.com/profile/13984252244243621337noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-35251222098200231252007-08-16T04:10:00.000-07:002007-08-16T04:10:00.000-07:00अभय भाई ने सही कहा. बहुत दुबे और बहुत थप्पड़ बाक़ी...अभय भाई ने सही कहा. बहुत दुबे और बहुत थप्पड़ बाक़ी हैं. हाँ, लिख डालने के लिए बहुत बधाई और आभार. इन मुद्दों पर चर्चा से कतराना हमारी फितरत बन गई है, उसे तोड़ने की हर कोशिश का स्वागत होना चाहिए.अनामदासhttps://www.blogger.com/profile/06852915599562928728noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-82610343278162448002007-08-16T01:49:00.000-07:002007-08-16T01:49:00.000-07:00पहले तो आपकी बुद्धि व साहस की दाद देते हैं।ऐसे लोग...पहले तो आपकी बुद्धि व साहस की दाद देते हैं।ऐसे लोग बहुत हैं हमारे चारों ओर।ऐसे लोगो को तो नंगा कर के चौराहों पर जूते मारने चाहिए।ताकि दूसरों को भी सबक मिले।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-11144625140733259832007-08-16T00:06:00.000-07:002007-08-16T00:06:00.000-07:00सच है, इस तरह के किस्से हर किसी के जीवन मे घटित हु...सच है, इस तरह के किस्से हर किसी के जीवन मे घटित हुए होंगे। बाल यौन शोषण, अक्सर पहचान वाले व्यक्ति द्वारा ही होता है। <BR/><BR/>आपके साहस और बुद्दि की तारीफ़ करनी पड़ेगी। ऐसे दुबे आपको हर गली नुक्कड़ पर मिल जाएंगे, ऐसे लोगो को सबक सिखाना बहुत जरुरी है।<BR/><BR/>आप अच्छा लिखते हो, आज शायद पहली/दूसरी बार इधर आना हुआ, इस लेखन को लगातार जारी रखिए।Jitendra Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/09573786385391773022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-60793545933294890472007-08-15T23:32:00.000-07:002007-08-15T23:32:00.000-07:00ऐसी कहानी सभी के पास एक दो होंगी..आपने शर्म की बाध...ऐसी कहानी सभी के पास एक दो होंगी..आपने शर्म की बाधा को पार कर के इसे सार्वजनिक किया.. बड़ी बात है.. यौन शिक्षा में भी ऐसी ही शर्म आड़े आती है.. और बच्चों के ऐसे दुष्टों से बचाने में रुकावट बनी रहती है..<BR/>आप ने प्रत्युत्पन्नमति की सहायता से खुद को बचा लिया.. मगर बहुत सारे दूसरे मासूम बच्चे नहीं बच पाते.. और जीवन भर की ग्रंथियों का शिकार बन जाते हैं..शायद यौन शिक्षा उन्हे बचाने में कामयाब हो सके..अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-87024719942011058082007-08-15T23:20:00.000-07:002007-08-15T23:20:00.000-07:00बोधीसत्वजी,इस ऐतिहासिक पोस्ट के लिए बधाई।आपका अनुभ...बोधीसत्वजी,<BR/>इस ऐतिहासिक पोस्ट के लिए बधाई।आपका अनुभव इसे ऐतिहासिक नहीं बनाता,चिट्ठे पर देना ऐतिहासिक काम हुआ।मल्हे दूबे अपने रुझान वाले समवयस्क साथी क्यों नहीं ढूँढ पाते?<BR/>दरजा आठ में मेरे मौसा ने रैले दिलाई थी तब ३२२ रुपए की थी !<BR/>आपके चिट्ठे पर अभी गैर ब्लॉगर पाठक टिप्पणी नहीं दे सकते कृपया उसका विकल्प खुला रखें।अफ़लातूनhttps://www.blogger.com/profile/08027328950261133052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-57696489557331807272007-08-15T22:55:00.000-07:002007-08-15T22:55:00.000-07:00दुबे जैसे बाल यौन शोषक लोग समाज के नाम पर कलंक हैं...दुबे जैसे बाल यौन शोषक लोग समाज के नाम पर कलंक हैं। आपकी तारीफ करनी होगी कि आपने उससे बचने के लिए कैसे दिमाग का इस्तेमाल किया।<BR/><BR/>आपके निवेदन में मुझे भी शामिल समझें।ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.com