tag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post608226452579879103..comments2023-08-25T04:09:30.854-07:00Comments on विनय पत्रिका: मुहल्ले की लड़कियों का हाल-चालबोधिसत्वhttp://www.blogger.com/profile/09557000418276190534noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-32871707629842014982010-05-03T20:17:20.240-07:002010-05-03T20:17:20.240-07:00वाह कविता में क्या चिंतन किया गया है शायद यह सवाल ...वाह कविता में क्या चिंतन किया गया है शायद यह सवाल कि ममता कहाँ है हर मन में हो, पर कोई बोल पाता है और कोई नहीं।विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-44868724275234958992007-08-25T05:24:00.000-07:002007-08-25T05:24:00.000-07:00ज्ञान जी से शुरू हुई टिप्पणियाँ आखिर शिव जी तक जा ...ज्ञान जी से शुरू हुई टिप्पणियाँ आखिर शिव जी तक जा पहुँची। अच्छा लगा कि आप ने भी पढ़ा शिव भाई।बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-41399256987920574582007-08-25T02:45:00.000-07:002007-08-25T02:45:00.000-07:00अस्सी के दशक में जब छात्र थे तब सुनते थे कि बाहर स...अस्सी के दशक में जब छात्र थे तब सुनते थे कि बाहर से आकर इलाहबाद में पढ़ने वाला लगभग हर छात्र अल्लापुर में रहता था. आज समझ में आया की ऐसा क्यों था.....(:-<BR/><BR/>बोधिसत्व जी,<BR/>बहुत ही बढ़िया कविता. और बड़ा ही बुनियादी सवाल.....<BR/><BR/>बहुत बहुत धन्यवाद.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-19218979903629837832007-08-23T10:22:00.000-07:002007-08-23T10:22:00.000-07:00आप लोग पढ़ रहे हैं आशीष जी मेरे लिए यही बहुत है। ध...आप लोग पढ़ रहे हैं आशीष जी मेरे लिए यही बहुत है। धन्यवादबोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-48397747197827877662007-08-23T04:21:00.000-07:002007-08-23T04:21:00.000-07:00bahut acchi kavita hain sir..bahut acchi kavita hain sir..Ashish Maharishihttps://www.blogger.com/profile/04428886830356538829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-88677427711805469422007-08-21T00:20:00.000-07:002007-08-21T00:20:00.000-07:00खयाल अच्छा है नीलिमा जी। पर लिखेगा कौनखयाल अच्छा है नीलिमा जी। पर लिखेगा कौनबोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-53372468023256122612007-08-20T22:37:00.000-07:002007-08-20T22:37:00.000-07:00खाश इनमें से कोई लडकी मुहल्ले के लडकों का हाल चाल ...खाश इनमें से कोई लडकी मुहल्ले के लडकों का हाल चाल लिखतीNeelimahttps://www.blogger.com/profile/14606208778450390430noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-49373430072488226912007-08-20T22:35:00.000-07:002007-08-20T22:35:00.000-07:00This comment has been removed by the author.Neelimahttps://www.blogger.com/profile/14606208778450390430noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-46653193020849462622007-08-20T20:19:00.000-07:002007-08-20T20:19:00.000-07:00अनूप भाई किताब आते ही हम आप को सूचित करेंगे। आप लो...अनूप भाई किताब आते ही हम आप को सूचित करेंगे। आप लोग पढ़ेगे तो मेरा पाप कुछ तो कम होगा ही।बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-82696876576708652492007-08-20T11:32:00.000-07:002007-08-20T11:32:00.000-07:00दिल से लिखी , अच्छी कविता है। कभी ऐसे ही स्कूल में...दिल से लिखी , अच्छी कविता है। <BR/>कभी ऐसे ही स्कूल में पढते हुए कुछ पंक्तियां लिखी थी :<BR/><BR/>सुनो,<BR/>तुम मुझे अपनें घर का पता<BR/>बतला क्यों नहीं देती ?<BR/>वरना ,<BR/>मैं हवाओं के संग,<BR/>आने वाली खुशबु<BR/>से जान लूँगा <BR/>कि तुम कहाँ पे रहती हो <BR/>----<BR/><BR/>काव्य संकलन का इंतज़ार रहेगा ।अनूप भार्गवhttps://www.blogger.com/profile/02237716951833306789noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-61460690376566345382007-08-20T10:35:00.000-07:002007-08-20T10:35:00.000-07:00बहुत अच्छी लगी कविता। कविता संग्रह छपे तो सूचना दी...बहुत अच्छी लगी कविता। कविता संग्रह छपे तो सूचना दीजियेगा। हम खरीद के पढ़ेंगे और लोगों को पढ़वायेंगे भी।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-5191275658988891842007-08-20T07:31:00.000-07:002007-08-20T07:31:00.000-07:00अरे,आप तो पूरे मोहल्ले की डायरी धरे हैं. आते जाते ...अरे,आप तो पूरे मोहल्ले की डायरी धरे हैं. <BR/><BR/>आते जाते रहें -ममता का कुछ समाचार मिल ही जायेगा. दरकार तो नहीं मगर मालूम रहने में बुराई भी क्या है. :)<BR/><BR/>-याद बहुत शिद्दत से किया आपने मोहल्ले को. किताब आये तो बताईयेगा जरुर.उसी वक्त मांगेगे.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-49989196015522386082007-08-20T07:28:00.000-07:002007-08-20T07:28:00.000-07:00यकीनन गुनाह नहीं है यह। आप कवि हैं, कवि हृदय रहे ह...यकीनन गुनाह नहीं है यह। आप कवि हैं, कवि हृदय रहे हैं, हैं और रहेंगे। हालचाल लेते रहिए। अच्छी भावना है, उत्तम कविता है।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-91906476346929325922007-08-20T03:59:00.000-07:002007-08-20T03:59:00.000-07:00जो मुझसे बूढ़े हैं मैं उनसे पंगा नहीं लेता। आप मुझ...जो मुझसे बूढ़े हैं मैं उनसे पंगा नहीं लेता। आप मुझसे बुजुर्ग ठहरे। जाने की जरूरत नहीं है। मुहल्ले की लड़कियों का हाल ही तो जानने की कोशिश कर रहा हूँ। गुनाह तो नहीं है यह।बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-44903870235550255702007-08-20T03:28:00.000-07:002007-08-20T03:28:00.000-07:00अरे ये कहा आ गया मै यहा तो ढेर सारे बुजुर्ग अपनी ज...अरे ये कहा आ गया मै यहा तो ढेर सारे बुजुर्ग अपनी जवानी मे की गई गलतियो और जो कर सकते थे पर नही कर पाये उन गलतियो को याद करने मे लगे है..<BR/>नाम हाल चाल का है..पर पुरानी धूल को साफ़ करने का आनंद लेने मे लगे है..खिसकता हू..मैने कुछ नही सुना ना देखा ना पढा जारी रखे...:)Arun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-13572023791364221452007-08-20T02:41:00.000-07:002007-08-20T02:41:00.000-07:00आमतौर से यह आपस में बात न करने दिये जाना ही बहुत स...आमतौर से यह आपस में बात न करने दिये जाना ही बहुत सी समस्याओं की जड़ होती है । जिससे आप बात करते हैं उससे आप कभी भी अशोभनीय व्यवहार नहीं कर सकते । उसे छेड़ने का तो प्रश्न ही नहीं उठेगा । दोनों पक्षों को एक दूसरा कुछ असाधारण नहीं लगेगा व आप सदा एक दूसरे के सोच को समझ पाएँगे और शायद एक स्वस्थ मित्रता हो सकेगी ।<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-42025216092970505872007-08-20T01:33:00.000-07:002007-08-20T01:33:00.000-07:00सही!!हर मोहल्ले पे सटीक!!सही!!<BR/><BR/>हर मोहल्ले पे सटीक!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-87318719435222969182007-08-20T01:15:00.000-07:002007-08-20T01:15:00.000-07:00दिल से निकली कविता, दिल को छूती कवितादिल से निकली कविता, दिल को छूती कविताALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-73099313407731076652007-08-20T01:11:00.000-07:002007-08-20T01:11:00.000-07:00बोधिसत्व जी..यथार्थ को अच्छे शब्दो मे चित्रित किया...बोधिसत्व जी..यथार्थ को अच्छे शब्दो मे चित्रित किया है...तकरीबन आठ बरस हम भी नेता चौराहा अल्लापुर मुहल्ले की लडकियो से रूबरू हुए है..आपकी कविता ने रसीदी टिकट लगा दी...अरसे से बन्द पडे लिफाफे मे.<BR/>धन्यवाद.विजेंद्र एस विजhttps://www.blogger.com/profile/06872410000507685320noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-62769350727739973252007-08-20T01:04:00.000-07:002007-08-20T01:04:00.000-07:00दरकार भले ना हो मगर सामाजिकता तो यही कहती है कि हा...दरकार भले ना हो मगर सामाजिकता तो यही कहती है कि हाल चाल जान लिया जाय.. :)अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-59470977859722493082007-08-19T23:05:00.000-07:002007-08-19T23:05:00.000-07:00क्यों बुड्ढा कह कर लिहाड़ी ले रहे हैं ज्ञान भाई।बा...क्यों बुड्ढा कह कर लिहाड़ी ले रहे हैं ज्ञान भाई।<BR/>बात सूझी तो लिखा। क्या करें। हिंदी कविता में वर्जनाएँ बहुत प्रबल हैं।बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-59868671633251707002007-08-19T22:46:00.000-07:002007-08-19T22:46:00.000-07:00"कैसा समाज है, कैसा समय है,जहाँ मुहल्ले की लड़कियो..."कैसा समाज है, कैसा समय है,<BR/>जहाँ मुहल्ले की लड़कियों का<BR/>हाल-चाल जानना गुनाह है," <BR/><BR/>गुनाह नहीं, किशोरावस्था का इंफैचुयेशन है. यह बुढ़ापे तक पीछा नहीं छोड़ता बन्धु. और यह नर-नारी सबको मोहता है. कोई चुप रह कर इसे ढ़ोता है, किसी को लिखना सोहता है!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.com