tag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post8750210828678595379..comments2023-08-25T04:09:30.854-07:00Comments on विनय पत्रिका: उऋण हो सकूँगा क्या उनसेबोधिसत्वhttp://www.blogger.com/profile/09557000418276190534noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-13662086453394005792007-09-27T10:37:00.000-07:002007-09-27T10:37:00.000-07:00शशि भाई अभी तो सारी कविताएँ संग्रह के लिए पठा दी ह...शशि भाई <BR/>अभी तो सारी कविताएँ संग्रह के लिए पठा दी हैं। होते ही कुछ करता हूँ।बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-33634475689301753732007-09-26T22:16:00.000-07:002007-09-26T22:16:00.000-07:00बोधि भाई "कथावार्ता" को विनय पत्रिका से मेरे कहे ...बोधि भाई "कथावार्ता" को विनय पत्रिका से मेरे कहे बिना भी आपने लिंक कर दिया, इसके लिए सचमुच मैं आपका आभारी हूँ. यह आपका <BR/>बड़प्पन है. धन्यवाद. हमने इस रविवार कवि दिनकर पर एक पूरा पेज प्लान किया था. देखा होगा,. उसकी ख़ासी चर्चा रही. हाँ, अपनी कुछ कविताएँ फ़ौरन सहारा के लिए मुझे ईमेल कर दे. आभारी रहूँगा.<BR/>शशि भूषण द्विवेदीshashihttps://www.blogger.com/profile/13526003502183896334noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-48428504347494777142007-09-25T20:28:00.000-07:002007-09-25T20:28:00.000-07:00अनिल भाई हो सकता है कि आप सही हों । पर हो तो यह भी...अनिल भाई हो सकता है कि आप सही हों । पर हो तो यह भी सकता है कि दोस्त कबी न बदलें। मेरे लिए हर भ्रम का टूटना जरूरी पाता हूँ। <BR/>अजय जी आपने सही कहा कि दोस्त कभी नहीं छूटते।<BR/>नीरज जी शायद यह आप का पहला कमेंट है। अच्छा लगा। बदगुमानी पर एक बार कहीं सुना पद याद आया-<BR/>रहो न दूर दूर ये तो बदगुमानी हैबोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-18068465908411529912007-09-25T18:02:00.000-07:002007-09-25T18:02:00.000-07:00बिछड़ते वक्त कोई बदगुमानी दिल में आ जाती,मुझे भी र...बिछड़ते वक्त कोई बदगुमानी दिल में आ जाती,<BR/>मुझे भी रंज नहीं होता तुम्हें भी याद नहीं आती |Neeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-31281653593061488352007-09-25T11:14:00.000-07:002007-09-25T11:14:00.000-07:00मेरे खयाल से दोस्त कभी नहीं बिछुड़ते.हम कभी थोड़ा ...मेरे खयाल से दोस्त कभी नहीं बिछुड़ते.हम कभी थोड़ा आगे-पीछे हो जाते हैं.समय,स्वार्थ और साहचर्य से ये सब होता है.chavannichaphttps://www.blogger.com/profile/11234137563285061161noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-80736214775816317492007-09-25T06:57:00.000-07:002007-09-25T06:57:00.000-07:00दोस्तों के खास समय की छवि हमारे जेहन में छप जाती ह...दोस्तों के खास समय की छवि हमारे जेहन में छप जाती है जिनसे हम चिपके रहते हैं। लेकिन असल में होता यह है कि समय के साथ हम जितना चलते हैं, वो भी चलते रहते हैं। दूर-दूर रहने पर भ्रम बना रहता है। लेकिन कभी हकीकत में मिलकर देखिए तो फासलों का अहसास हो जाएगा।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-6265402273250494522007-09-25T05:56:00.000-07:002007-09-25T05:56:00.000-07:00पता नहीं कहाँ होगा। होगा तो किस हाल में होगा। कहने...पता नहीं कहाँ होगा। होगा तो किस हाल में होगा। कहने को तो दुनिया छोटी है पर कभी-कबी बहुत बड़ी हो जाती है भाई।बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-53697043286982020572007-09-25T05:53:00.000-07:002007-09-25T05:53:00.000-07:00badi muskil hai us dost ke pas internet hoga ki na...badi muskil hai us dost ke pas internet hoga ki nahi, kya pata? khair aapne likha so bahut achchha.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/12313797805658263500noreply@blogger.com