tag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post8827165846695238919..comments2023-08-25T04:09:30.854-07:00Comments on विनय पत्रिका: मैं बहुत कम तेल वाला दीया हूँबोधिसत्वhttp://www.blogger.com/profile/09557000418276190534noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-54220056053545360862007-08-30T04:59:00.000-07:002007-08-30T04:59:00.000-07:00आधा साल पूरा करने की बधाई और शुभकामनायें।आधा साल पूरा करने की बधाई और शुभकामनायें।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-6119573866812580452007-08-29T11:55:00.000-07:002007-08-29T11:55:00.000-07:00समीर लाल जी, प्यारे यूनुस , संजीत और परमजीत भाईआप ...समीर लाल जी, प्यारे यूनुस , संजीत और परमजीत भाई<BR/>आप लोग पढ़ रहे हैं यही मेरे लिए बहुत है। वैसे मैं खुद अपनी और हिंदी कविता की स्थिति को लेकर बहुत शर्मिंदा हूँ। कोई और धंधा नहीं जानता मजबूरी में लिखता रहता हूँ।बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-33031019182577035612007-08-29T11:41:00.000-07:002007-08-29T11:41:00.000-07:00बहुत बढिया कविता है।बहुत बढिया कविता है।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-27421658383694908982007-08-29T11:34:00.000-07:002007-08-29T11:34:00.000-07:00बहुत सही!!बहुत सही!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-27212630605697957722007-08-29T08:06:00.000-07:002007-08-29T08:06:00.000-07:00वाह भाई, बड़ी सहजता से कह गये. हिसाब किताब तो हर वक...वाह भाई, बड़ी सहजता से कह गये. हिसाब किताब तो हर वक्त लगा ही रहता है...बहुत बढ़िया.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-76171930176057921592007-08-29T06:11:00.000-07:002007-08-29T06:11:00.000-07:00कहते रहिये हम छोटे छोटे लोग आपकी बड़ी सी लगने वाली...कहते रहिये हम छोटे छोटे लोग आपकी बड़ी सी लगने वाली छोटी छोटी बातों को मनोयोग से सुन रहे हैं ।Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-88119358638121726642007-08-29T04:50:00.000-07:002007-08-29T04:50:00.000-07:00छोटे हैंपर इतने भी नहींकि बड़ा सोच न सकेंऔरबड़ा कौ...छोटे हैं<BR/>पर इतने भी नहीं<BR/>कि बड़ा सोच न सकें<BR/>और<BR/>बड़ा कौन है- <BR/>हर तरफ बढ़ती जाती<BR/>कैंसर की गांठों के सिवाय?चंद्रभूषणhttps://www.blogger.com/profile/11191795645421335349noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-63044587656011209742007-08-29T01:23:00.000-07:002007-08-29T01:23:00.000-07:00सुंदर .... अतिसुंदर...ईमानदार शब्द, ईमानदार उद्गगा...सुंदर .... अतिसुंदर...ईमानदार शब्द, ईमानदार उद्गगार, ईमानदार अभिव्यक्ति...इसके अलावा और कुछ नहीं कह सकता...बोधिभाई. अच्छी कविता पढ़वाने का शुक्रिया।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-23164983360920354402007-08-29T00:56:00.000-07:002007-08-29T00:56:00.000-07:00अफलातून भाईयह कविता 12 जून 2006 को लिखी गई फिर 14 ...अफलातून भाई<BR/>यह कविता 12 जून 2006 को लिखी गई फिर 14 जून को इसमें बाद वाला हिस्सा यानी <BR/>एक छोटा सा ताना एक छोटी सी बात<BR/>और दीये वाला हिस्सा जोड़ा। यानी अंत का काफी कुछ 14 जून को लिखा गया। <BR/>आप मान सकते हैं कि यह कविता दो दिनों में लिखी गई।<BR/>पहली बार यह प्रयाग शुक्ल के संपादन में लिकलने वाली राष्ट्रीय नाट्य विद्यालट की पत्रिका रंग-प्रसंग के अक्टूबर-दिसंबर 2006 के अंक में छपी ।बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-22930425362837261022007-08-29T00:40:00.000-07:002007-08-29T00:40:00.000-07:00कब की कविता है इससे क्या?पर मैने अभी अभी ही पढा है...कब की कविता है इससे क्या?पर मैने अभी अभी ही पढा है, क्यों पढ़ लिया? पढ़कर अपने को छोटा महसूस कर रहा हूं.ब्ड़ी राहत है..अपने बारे में कुछ तो पता चला.VIMAL VERMAhttps://www.blogger.com/profile/13683741615028253101noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-38555852416953941282007-08-28T23:52:00.000-07:002007-08-28T23:52:00.000-07:00बोधिसत्व ,बहुत खूब ! बतायें कि कविता कितने साल पहल...बोधिसत्व ,<BR/>बहुत खूब ! बतायें कि कविता कितने साल पहले लिखी गयी थी?अफ़लातूनhttps://www.blogger.com/profile/08027328950261133052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-66301869019684219732007-08-28T23:36:00.000-07:002007-08-28T23:36:00.000-07:00छोटा आदमी हूँ. इतनी बड़ी कविता पर टिप्पणी करना, मे...छोटा आदमी हूँ. इतनी बड़ी कविता पर टिप्पणी करना, मेरे बस की बात नहीं.<BR/><BR/>बोधिसत्व जी बहुत-बहुत धन्यवाद इस 'पुरानी' पोस्ट को फिर से चिपकाने के लिए.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-49670292040929333182007-08-28T23:14:00.000-07:002007-08-28T23:14:00.000-07:00क्या बात है ! महानता होती होगी गगनचुम्बी पर साधारण...क्या बात है ! <BR/><BR/>महानता होती होगी गगनचुम्बी पर साधारणता की अपनी गाथा है -- अपनी मज़बूरियों की,अपनी कमजोरियों की गाथा . <BR/><BR/>छोटे आदमी के सरोकार छोटे नहीं होते पर वह रोज़मर्रा की छोटी-छोटी जद्दोजहद में ही अपनी सारी ऊर्जा गवां देता है . <BR/><BR/>आप उसकी त्रासदी के प्रति सहानुभूति रख पाये यह बड़ा काम है . <BR/><BR/>मुझे तो यह आदमी किसी ग्रीक त्रासदी के हीरो से कम कभी नहीं लगा .Priyankarhttps://www.blogger.com/profile/13984252244243621337noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-21451900895901078812007-08-28T23:08:00.000-07:002007-08-28T23:08:00.000-07:00बिल्कुल, फलनवां बहुत दिन से टिप्पणी करने नहीं आया,...बिल्कुल, फलनवां बहुत दिन से टिप्पणी करने नहीं आया, याद रहता है.Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-14105705548449189732007-08-28T22:50:00.000-07:002007-08-28T22:50:00.000-07:00बहुत सही बात कही है आपने । यह बात हममें से बहुतों ...बहुत सही बात कही है आपने । यह बात हममें से बहुतों पर लागू होती होगी, मुझपर तो होती है ।<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-14681079150791729672007-08-28T22:31:00.000-07:002007-08-28T22:31:00.000-07:00छोटे दुखों की अच्छी सूची..हम सब यही लिए फिर रहे है...छोटे दुखों की अच्छी सूची..हम सब यही लिए फिर रहे हैं.. फिर भी बड़े होने का, महान होने का नाटक..अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.com