tag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post9176685928850995915..comments2023-08-25T04:09:30.854-07:00Comments on विनय पत्रिका: अयोध्या और पागलदासबोधिसत्वhttp://www.blogger.com/profile/09557000418276190534noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-77799429877633139292007-12-07T22:20:00.000-08:002007-12-07T22:20:00.000-08:001-प्रियंकर भाई मेरी कविता से बंध जाते हैं यह जानकर...1-प्रियंकर भाई मेरी कविता से बंध जाते हैं यह जानकर अच्छा लगा।<BR/>2-बालकिशन जी आभारी हूँ आपका<BR/>3-आलोक भाई आपका स्नेह है....और क्या चाहिए..... <BR/>4-शिव भाई आपसे सहमत हूँ....<BR/>5-घुघूती जी आपसे कोई शिकायत मुझे भी नहीं है....<BR/>6-ज्ञान भाई आप जितना अच्छा लिखने की चाह है....<BR/>7-अभय भाई सब कुछ तो कह दिया आपने...<BR/>8-संजीत भाई आभार आपको...<BR/>9- नीरज भाई पढ़ने के लिए धन्यवाद<BR/>10-पारुल जी धन्यवाद<BR/>11- अफलातून जी यही सवाल मेरा भी है कि कौन पागलदास याद आए आपको<BR/>12- विजय भाई पुरस्कार तो मिला था....<BR/>13-अनूप भाई.....मेरी आवाज में.....देखता हूँ....बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-89160669126894282152007-12-07T18:30:00.000-08:002007-12-07T18:30:00.000-08:00अद्भुत कविता है यह। आभार इसे पढ़वाने के लिये। बोधिस...अद्भुत कविता है यह। आभार इसे पढ़वाने के लिये। बोधिसत्वजी आप इसे हमारा आग्रह माने या अनुरोध। अपनी सारी कवितायें अपनी आवाज में रिकार्ड करके एक-एक करके पोस्ट करें। युनुस जी की सेवायें लें। कुछ काम करें कुछ काम करें। जग में रह कर कुछ काम करें। शुरुआत इसी कविता से करें। साल खतम होने से पहले यह कविता आपके ब्लाग पर आपकी आवाज् में <BR/>सुनवायें। :)अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-90198619333740204742007-12-07T01:35:00.000-08:002007-12-07T01:35:00.000-08:00यह तुम्हारी कुछ बहुत अच्छी कविताओं में से एक है. ज...यह तुम्हारी कुछ बहुत अच्छी कविताओं में से एक है. जहाँ तक मुझे याद है इसी पर तुम्हें कविता का प्रतिष्ठित 'भारत भूषण' सम्मान मिला था. अगर इसी तरह कवितायें ही देते रहो तो भी कुछ हर्ज़ नहीं है.विजयशंकर चतुर्वेदीhttps://www.blogger.com/profile/12281664813118337201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-57951132121232175722007-12-06T22:12:00.000-08:002007-12-06T22:12:00.000-08:00बहुत खूब ! पागलदास की याद आ गयी । कौन से?बहुत खूब ! पागलदास की याद आ गयी । कौन से?अफ़लातूनhttps://www.blogger.com/profile/08027328950261133052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-66935211782658561612007-12-06T08:51:00.000-08:002007-12-06T08:51:00.000-08:00अद्धभुत …अद्धभुत …पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-89099865639609961222007-12-06T05:20:00.000-08:002007-12-06T05:20:00.000-08:00जितने सुंदर शब्द उतने ही सुंदर भाव. आप ने १० साल क...जितने सुंदर शब्द उतने ही सुंदर भाव. आप ने १० साल कहाँ संभाले रखा इस कविता को. बेमिसाल लेखन.<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-60078500256137869802007-12-06T05:12:00.000-08:002007-12-06T05:12:00.000-08:00बेहतरीन!मंत्रमुग्ध करने वाली,पढ़ते-पढ़ते ही आपको कही...बेहतरीन!<BR/>मंत्रमुग्ध करने वाली,पढ़ते-पढ़ते ही आपको कहीं और ले चलने वाली कविता।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-41108988695878357012007-12-06T04:50:00.000-08:002007-12-06T04:50:00.000-08:00कुछ कहने की ज़रूरत है क्या?कुछ कहने की ज़रूरत है क्या?अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-23048592140726077822007-12-06T04:17:00.000-08:002007-12-06T04:17:00.000-08:00भैया, क्या कहूं - कविता बहुत बढ़िया लग रही है। पर इ...भैया, क्या कहूं - कविता बहुत बढ़िया लग रही है। पर इसके कोई राजनैतिक कोनोटेशन तो नहीं हैं? कोई खेमाबन्दी न करले इससे तो बहुत नायाब रतन है यह कविता।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-71576728385225155782007-12-06T04:00:00.000-08:002007-12-06T04:00:00.000-08:00कभी कभी कोई रचना इतनी अच्छी होती है कि कहने के लिए...कभी कभी कोई रचना इतनी अच्छी होती है कि कहने के लिए कोई शब्द नहीं मिलते । यदि मिलते तो हम भी इतना ही अच्छा ना लिख लेते । <BR/>एक बात और, आपकी एक पोस्ट को लेकर मैंने जो लेख लिखा था वह केवल यह बताने को कि पाठक कैसे विषयों की ओर खिंचे चले आते हैं । आपकी पोस्ट से मुझे कोई शिकायत न थी । <BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-71217851545762178392007-12-06T03:23:00.000-08:002007-12-06T03:23:00.000-08:00बहुत अच्छी लगी कविता...चिंतन से उपजी चिंता, न जाने...बहुत अच्छी लगी कविता...<BR/><BR/>चिंतन से उपजी चिंता, न जाने कितने पागलदासों को खा जा रही है...Shiv Kumar Mishrahttps://www.blogger.com/profile/16210136982521324733noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-6283590045112648692007-12-06T03:15:00.000-08:002007-12-06T03:15:00.000-08:00ग्रेट कविता है। बोधिसत्वजी के अंदर से बुद्ध बोलते ...ग्रेट कविता है। <BR/>बोधिसत्वजी के अंदर से बुद्ध बोलते हों जैसे।<BR/>पागलदास के अंदर परम अक्लमंद बोलते हों जैसे। <BR/>पार कराने वाले के अंदर कई सवालों में डुबोने वाले बोलते हों जैसे। <BR/>पखावज के अंदर से पूरी दुनिया के वायलिनों की उदासी बोलती हो जैसे। <BR/>चुप्पी के अंदर से पंचम के सुर बोलते हों जैसे।ALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-8775474244415945552007-12-06T03:09:00.000-08:002007-12-06T03:09:00.000-08:00मार्मिक कविता है सर. कड़वा सच बयान करती है. और मैं ...मार्मिक कविता है सर. कड़वा सच बयान करती है. और मैं क्या कहूँ ? कैसे सूरज को चिराग दिखाने की गुस्ताखी करूँ?बालकिशनhttps://www.blogger.com/profile/18245891263227015744noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-83892150832591481542007-12-06T03:01:00.000-08:002007-12-06T03:01:00.000-08:00यह कविता जितनी बार भी पढता हूं, उसी तरह बांध लेती ...यह कविता जितनी बार भी पढता हूं, उसी तरह बांध लेती है जैसा पहले पाठ के समय आविष्ट किया था . बोधिसत्व की लिखी और मेरी पढी सबसे अच्छी कविताओं में एक .Priyankarhttps://www.blogger.com/profile/13984252244243621337noreply@blogger.com