Saturday, February 23, 2008

साल भर में क्या उखाड़ा...उर्फ ब्लॉगमारी

ब्लॉगमारी के एक साल

(सब दोस्तों को सलाम, कल से मैं अपनी विनय-पत्रिका शुरू कर रहा हूँ.......पढ़ो और बताओ...... इसे शुरू करवाने के पीछे हैं अविनाश, अभय तिवारी, चैताली केलकर,अनिल रघुराज....और मैं खुद...नामकरण आभा ने किया है.......)

2 टिप्पणियाँ: अभय तिवारी said...

स्वागत है...अंदर की छपास की आग को फ़टाफ़ट ठंडा करते हुये ब्लॉग की दुनिया मे आग लगाते रहो। February 24, 2007 2:48 AM

Sanjeet Tripathi said...

ब्लॉग-जगत में आपको देखकर खुशी । शुभकामनाएँ

(यह मेरी पहले दिन की पहली पोस्ट थी...और उसपर मिली थी अभय भाई और संजीत जी की टिप्पणियाँ...आज एक साल पूरा हो गया....है विनय पत्रिका शुरू किए...। ऐसे दिन मैं अपनी पहले दिन प्रकाशित कुछ चिंदियों को फिर से छाप रहा हूँ...आपने उन्हें फिर से पढ़ें...।

कुछ दोहे

( ये दोहे कभी किसी ने मुझे भेंजे थे, नाम उसका शायद नवल किशोर था । आप भी इन्हें पढ़ें और .....)

उठते हुए गुबार में, काले - दुबले हाथ,

बुला-बुला कर कह रहे, चलो हमारे साथ ।

घुलते- घुलते घुल गई, कैसे उसकी याद,

कौन सुने किससे करें, सुनने की फरियाद ।

दिन डूबा गिरने लगी, आसमान से रात,

एक और भी दिन गया, बाकी की क्या बात ।

सूरज के आरी-बगल, धरती घूमें रोज,

अपने कांधे पर लिए मेरा-तेरा बोझ ।

पसंद के कुछ शेर

भगवान तो बस चौदह बरस घर से रहे दूर

अपने लिए बनबास की मीआद बहुत थी । ज़फ़र गोरखपुरी

मुहब्बत, अदावत, वफ़ा, बेरुख़ी

किराए के घर थे, बदलते रहे । बशीर बद्र

विनय पत्रिका का मूल्यांकन आज नहीं कभी फिर....हाँ आप कर सकते हैं...कि मैंने क्या किया क्या करूँ...

24 comments:

  1. अपन तो सरजी आपके ब्लॉग का मूल्यांकन करने लायक है नहीं. बस जन्मदिन पर बधाई जरुर दे सकते हैं.
    और भविष्य के किए शुभकामनाएं.

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  2. मुझे आपकी कौन सी पोस्ट अब तक सबसे अच्छी लगी?
    इलाहाबाद में निराला
    इसे दुबारा पोस्ट कीजियेगा.

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  3. पक्का
    मैथिली जी...कल ही चढ़ता हूँ...

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  4. चलिए बधाई तो कुबूल कीजिए ।
    आकलन के नाम पर यही कहेंगे कि आने वाले साल आप इस साल से ज्‍यादा सक्रिय रहें ।
    थोड़ा कहा बहुत समझिए ।

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  5. "...हाँ आप कर सकते हैं...कि मैंने क्या किया क्या करूँ..."

    रोज लिख सकते हैं... कम से कम एक पोस्ट :)

    सालगिरह की बधाईयाँ.

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  6. ravi ratlami ki baat maan kar roj mat likhane lagiyega. intzar ka maza khatm ho jayega.

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  7. मूल्यांकन या तो स्वयम करें या जौहरी तलाशें। हमसे बधाई स्वीकार करें।

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  8. बहुत बहुत बधाई...लिखते रहें यूँ ही दिन महीने साल....जब तक पढने वाले ना कह दें की भाई अब और नहीं...बस करो :). आप सा अच्छा लिखने वाले को हम से पाठक हमेशा प्रोत्साहित करते रहेंगे.
    नीरज

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  9. हिन्दी ब्लॉगिंग के बाबा आदम आप को टिप्पणी देते हैं और इतना पसन्द करते हैं कि रोज़ लिखने की सिफ़ारिश भी करते हैं.. लो भाई हो गया मूल्यांकन..और क्या चाहिये..!

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  10. उखाड़ा की जगह बोया लिखते तो बात नहीं बनती क्या?

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  11. बुवाई भी उखाड़ने के लिए ही की जाती है....

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  12. आप अमूल्य हैं।
    मूल्य वूल्य तो सामान्य राइटरों का होता है।
    आप इस मूल्यांकन की कतार से बाहर हैं।
    बोले तो आउटस्टेंडिंग।
    आपको कौन उखाड़ सकता है।

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  13. पढ़कर अच्छा लगा , आभार !

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  14. बोधि जी , एक साल पूरा होने पर मुबारकवाद. आपकी पिछली पोस्ट अभी तक भूली नहीं.. नए का इंतज़ार कर रहे हैं.
    हमें आपकी एक और पोस्ट जो हमेशा याद आती है...'भानी को समझाऊँगा...' बच्चों को प्यार..

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  15. मूल्यांकन जिसका भी करना हो मूल्यांकनकर्ता में भी तो इतनी योग्यता होनी चाहिए न कि वह मूल्यांकन कर सके!!!
    सो बस लिखतें रहे, रवि जी की मांग में हमारी भी आवाज़ शामिल समझें!
    शुभकामनाएं

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  16. सालगिरह की बहुत बधाई - नीचे वाली तीन मुझे औरों से थोड़ी ज्यादा अच्छी लगीं [ चिरकुटाई के अलावा (:-)] ] - मनीष
    http://vinay-patrika.blogspot.com/2007/02/blog-post_28.html
    http://vinay-patrika.blogspot.com/2007/09/blog-post_30.html
    http://vinay-patrika.blogspot.com/2007/07/blog-post_19.html

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  17. बधाई और अगले वर्ष के लिये शुभ कामना.

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  18. बधाई। लिखते रहें। रोज-डेली एक पोस्ट!

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  19. हमारी ओर से भी बधाई टिका ली जाय. रोज रोज नहीं भी तो कम से कम थोड़ा तो और ज्यादा लिखें.

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  20. सालगिरह की बधाई बोधिभाई।
    विलंब की माफी दें।

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  21. बोधि जी, आप मेरे पसंदीदा चंद ब्लॉगरों में से हैं. आपने हिंदी ब्लॉगिंग को अपनी साफ़गोई और अद्भुत प्रतिभा से सम्माननीयता दी है. उम्मीद है लिखते रहेंगे.

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