tag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post2342852798069681950..comments2023-08-25T04:09:30.854-07:00Comments on विनय पत्रिका: क्यों चुप हो निर्मल-आनन्द वाले भाई अभयबोधिसत्वhttp://www.blogger.com/profile/09557000418276190534noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-40422475081627607552007-10-11T11:38:00.000-07:002007-10-11T11:38:00.000-07:00अजी हैं कहाँ! प्रत्यक्ष में यहीँ हैं वे कानपुर में...अजी हैं कहाँ! प्रत्यक्ष में यहीँ हैं वे कानपुर में, और हैं परोक्ष में आपके और पाठकों के मन में। अब गंगा का किनारा सरलता पूर्वक अपने सम्मोहन से कहाँ मुक्त करता है। निराश न हों, वे शीघ्र ही गंगा-तट से सागर-तट की ओर कूच करेंगे।Rajeev (राजीव)https://www.blogger.com/profile/04166822013817540220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-35679480486317734992007-10-11T09:02:00.000-07:002007-10-11T09:02:00.000-07:00निर्मलानन्द अभयतिवारी जी मजे में हैं। अभी-अभीसोते ...निर्मलानन्द अभयतिवारी जी मजे में हैं। अभी-अभी<BR/>सोते से उनको उठाकर फ़िर से इस पोस्ट का शीर्षक बताया गया उनको। वे कल कानपुर से मुंबई के लिये प्रस्थान करेंगे। इसके बाद आप उनके जलवे सुनने के लिये तैयार रहिये।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-80189313853048276712007-10-11T06:39:00.000-07:002007-10-11T06:39:00.000-07:00प्रिय अभयजहाँ कहीं भी हो जल्दी से घर आ जाओ, कोई कु...प्रिय अभय<BR/>जहाँ कहीं भी हो जल्दी से घर आ जाओ, कोई कुछ नहीं कहेगी, तुम्हारी याद में पाठक बेहाल हैं.अनामदासhttps://www.blogger.com/profile/10451076231826044020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-25522769251382420732007-10-11T05:26:00.000-07:002007-10-11T05:26:00.000-07:00अभय जी का नियमित पाठक मैं भी हूँ. अभय जी कानपुर से...अभय जी का नियमित पाठक मैं भी हूँ. <BR/><BR/>अभय जी कानपुर से भी लिखिए, भैया. दूर की चिट्ठियां, सॉरी 'चिप्पियाँ' और बढ़िया होंगी....:-)Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-70158998833923205892007-10-11T03:58:00.000-07:002007-10-11T03:58:00.000-07:00क्या बतायें, याद तो हम भी बड़ी शिद्दत से कर रहे हैं...क्या बतायें, याद तो हम भी बड़ी शिद्दत से कर रहे हैं. ईमेल भी किये. कोई सुनवाई नहीं.<BR/><BR/>शायद आपका ही हांका काम कर जाये.<BR/><BR/>पता चला कि माता जी पास गये हैं, तब सारी शिकायत जाती रही.<BR/><BR/>उम्मीद है, जब लौटेंगे तो एक नई उर्जा के साथ बेहतरीन पोस्टें पेश होंगी. इन्तजार करते हैं.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-33943646889817251912007-10-11T03:25:00.000-07:002007-10-11T03:25:00.000-07:00भूपेन भाई वो जो चाहते हों वो करें.....हम तो अपनी ड...भूपेन भाई वो जो चाहते हों वो करें.....हम तो अपनी डिमांड रखने को आजाद हैं....<BR/><BR/>भाई फुरसतिया और राजीव जी और मित्रों ...जहाँ-जहाँ मुस्कान का चिह्न लगाना हो लगा लें......मैं नहीं लगा पाया हूँ....बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-1641022877585028812007-10-11T03:21:00.000-07:002007-10-11T03:21:00.000-07:00किसी ब्लॉगर की चुप्पी से उसके पाठकों को जब इस तरह ...किसी ब्लॉगर की चुप्पी से उसके पाठकों को जब इस तरह की अकुलाहट हो तो यह उस ब्लॉगर के सौभाग्य ही नहीं, बल्कि उसके लेखन के स्तर को भी दर्शाता है। बहुत कम ही ऐसे चिट्ठाकार हैं जिनकी पोस्ट का इस तरह से इंतजार किया जाता है। <BR/><BR/>दिल्ली में अभय जी से मुलाकात हुई थी। आशा है, वापस मुम्बई पहुंचकर वह दिल्ली, कानपुर के अपने प्रवास के अनुभवों को पोस्ट के रूप में सामने रखेंगे।Srijan Shilpihttps://www.blogger.com/profile/09572653139404767167noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-18496651718520379942007-10-11T03:20:00.000-07:002007-10-11T03:20:00.000-07:00आप जिनकी ख़बर ले रहे हैं वे शायद कुछ दिनों के लिए ...आप जिनकी ख़बर ले रहे हैं वे शायद कुछ दिनों के लिए बेखबर होना चाहते हैं.Bhupenhttps://www.blogger.com/profile/05878017724167078478noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-58990410435333417562007-10-11T03:13:00.000-07:002007-10-11T03:13:00.000-07:00हमारी भी हांक लगा लें अपनी आवाज में.अभय कहाँ खो गय...हमारी भी हांक लगा लें अपनी आवाज में.<BR/><BR/>अभय कहाँ खो गये हो भाई <BR/>अपना अनंदित रूप दिखाओ<BR/>बिन निर्मल सब सूना लगता<BR/>अब तो फिर से वापस आओ.काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-81176003836236186762007-10-11T02:38:00.000-07:002007-10-11T02:38:00.000-07:00गज़ब का स्वर है आपका। देखिये ना मुझ तक पहुंच गई, तो...गज़ब का स्वर है आपका। देखिये ना मुझ तक पहुंच गई, तो अभय के निर्मल आनन्द तक तो पहुंच ही जानी चाहिये, पर वाकई इस तरह गायब रहना वो भी निर्मल आनन्द का ठीक नही है, हमारे भी आनन्द मे खलल पड़ने लगा है, ये हम सब की सेहत के लिये ठीक नहीं हैVIMAL VERMAhttps://www.blogger.com/profile/13683741615028253101noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921589421577699058.post-9622694404583529192007-10-11T02:33:00.000-07:002007-10-11T02:33:00.000-07:00वाकई, उनकी चुप्पी अब खटकने सी लगी है!!वाकई, उनकी चुप्पी अब खटकने सी लगी है!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.com