Wednesday, February 28, 2007

कबित्त-बोधिसत्व

गाँव की बात

वह बहुत पुरानी एक रात
जिसमें सम्भव हर एक बात,
जिसमें अंधड़ में छुपी वात,
सोई चूल्हे में जली रात,
वह बहुत पुरानी बिकट रात ।

जिसमें हाथों के पास हाथ,
जिसमें माथे को छुए माथ,
जिसमें सोया वह वृद्ध ग्राम,
महुआ,बरगद,पीपल व आम,
इक्का-दुक्का जलते चिराग
पत्तल पर परसे भोग-भाग ।

वह बहुत पुरानी एक बात,
जिसमें धरती को नवा माथ,
वो बीज बो रहे चपल हाथ,
वो रस्ते जिन पर एक साथ
जाता था दिन आती थी रात
वह बहुत पुरानी एक रात ।

2 comments:

  1. सुन्दर शब्द चयन, बहुत सटीक चित्रण।

    जिसमें हाथों के पास हाथ,
    जिसमें माथे को छुए माथ,
    जिसमें सोया वह वृद्ध ग्राम,
    महुआ,बरगद,पीपल व आम,
    इक्का-दुक्का जलते चिराग
    पत्तल पर परसे भोग-भाग ।

    वाह..

    *** राजीव रंजन प्रसाद

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  2. राजीव भाई
    आप ने पढ़ा
    अच्छा लगा
    आप की जय हो

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