हर किसी के जीवन में गुरु का बहुत महत्व है...मेरे जीवन में भी है....मैं अपने गुरुओं का बहुत ऋनी हूँ....और सदैव श्रद्धा से स्मरन करता हूँ.....किन्तु बहुत से चेले ऐसे होते हैं जिन्हें अच्छे गुरु नहीं मिलते। एक कहावत है पानी पिओ छान के , गुरु करो जान के। पानी छानने के लिए तो भाँति-भाँति के फिल्टर मिलते हैं...किन्तु गुरु को जानने के लिए कोई हिल्टर नहीं मिलता...मैं तमाम बड़ी कंपनियों से निवेदन करूँगा कि वे एक गुरु जाँचक यंत्र बनाएँ....जिससे चेलों को ऐसा कष्ट न हो जैसा निचे लिख रहे चेले को हुआ है.....
यह मेरा नहीं एक पिछे रह गए चेले का दुख है....उसके दुख को समझें....उसे अच्छा गुरु मिलो यह दुआ करों...
चेला चौपदी
प्रभु जी काहे दिए गुरु कपटी
जात हैं जब गुरु से ग्यान माँगन को, मारत डंडा झपटी।। प्रभु जी।।
जात हैं जब गुरु की सेवा करन को , देत उठाइके रपटी।। प्रभु जी।।
जात हैं जब गुरु से मुक्ति माँगन को, गर धरत हैं लपटी।। प्रभु जी।।
जब गुरु कहत मौन रहन को, गुरुनी गारी देत है डपटी ।। प्रभु जी।।
गुरु जो मिला सो मिला। उसे कपटी कैसे कह रहे हैं जी। चेला कऊन है?
ReplyDeleteचेला समझ रहा है...वह अपना नास नहीं बताना चाहता...कया करें...
ReplyDeleteसर मुंड़ाते ही ओले पड़े। कैसन गुरू के पल्ले पड़े?
ReplyDeleteहे भगवान दो महिने पहिले टहलते हुए ब्लाग पर आया तब पासवर्ड ऎसे फँसा था जैसे पैन्ट की ज़िप।बीच बीच मे दो तीन बार ताँक झाँक की लेकिन कुछ नया नहीं दिखा तो समझे कि जानौ सन्यास ले लिया गया है।आज अचानक मन चला तो एक नहीं तीन तीन पोस्ट।गुरु आपके दुई लाइन तक तो ठीक ही लग रहे थे बात बात पर‘टी’ दे रहे थे बाद में कुछ बिरझाय गये लगते है।
ReplyDeleteहम तो आपही को गुरु मान के चलि रहै थे, प्रभो।
ReplyDeleteगुरु तो जइसन होइ चले। गुरुनि ठीक होइ चाहे!
ReplyDeleteहमको गुरु घंट मिले ऐसे.
ReplyDeleteहमको दुत्कारत थे हर दम वे प्रेम करत थे छोरिनते.
हम द्वार पे राह तकें ठाड़े वे मौज़ करें कुलबोरनते.
पंक्षी वे उड़ाकर के हमरे फिर फांसत थे बलज़ोरनते.
हमको तलफत वे छोड़ फंसे जाकर देखो वे औरनते.
बस चौपदी...?
ReplyDeleteअष्टपदी या उससे ज्यादा पद की रचना सुनाईये ( पढ़ाईये) ना
गुरु जमाना खराब है!
ReplyDeletegurudam ki mahima hindi hi bakhan kar sakti hai...Kisi ka bhi naam rakh deejiye, fit samajhiye
ReplyDeleteजय हो बोधि गुरु की. आप ही गुरु हो हमारे भी..हमें क्या करना फिल्टर हिल्टर से.
ReplyDeleteआनंद आई गवा!
ReplyDeleteगुरु गोविन्द दोउ खडे काके लागो पावं
ReplyDeleteचालुपन गुरु आपको पहले अपने पावं छुवाये
"पानी पिओ छान के , गुरु करो जान के। पानी छानने के लिए तो भाँति-भाँति के फिल्टर मिलते हैं...किन्तु गुरु को जानने के लिए कोई हिल्टर नहीं मिलता...मैं तमाम बड़ी कंपनियों से निवेदन करूँगा कि वे एक गुरु जाँचक यंत्र बनाएँ....जिससे चेलों को ऐसा कष्ट न हो जैसा निचे लिख रहे चेले को हुआ है....."
ReplyDeleteहमारी शुभकामनायें चेले के साथ !
जय गुरूदेव!
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