मैं सही सलामत हूँ
मैं इसलिए बचा हूँ
क्योंकि मैं घर में बैठा हूँ.....
यदि मैं भी वहाँ होता गेटवे या ताज पर तो
आप सब मेरा शोक मना रहे होते।
मैं इसलिए बचा हूँ क्योंकि मैं
वहाँ नरीमन हाउस में नहीं था
ओबरॉय में नहीं था जहाँ गोलियाँ चल रही थीं....
जहाँ मौत का महौल था।
मैं सच में केवल इसलिए बचा हूँ क्योंकि
मैं बच-बच कर रह रहा हूँ
मैं बच-बच कर जीने का अभ्यासी हो गया हूँ
जब से पैदा हुआ यही सिखाया गया
सब यही कहते पाए गए हैं कि बच के रहना
उधर नहीं जाना, उससे नहीं लड़ना
घर में रहना
सावधान रहना
अपना ध्यान रखना....
और मैं
घर में हूँ
अपना ध्यान रख रहा हूँ
किसी से नहीं लड़ रहा हूँ
बच कर रह रहा हूँ
इसीलिए अब तक
बचा हूँ।
हमारी मजबूरी भी समझिये कि हम भी आपके लिए तभी तक दुआ कर पायेंगे जब तक हम बचे हैं वरना तो यू आर ऑन योर ओन!!
ReplyDeleteशुक्र है आप बच गए | लोगों की मानसिकता पर सटीक व्यंग्य किया है आपने |
ReplyDeleteबचल रहS , मोर भाई ।
ReplyDeleteबजा फरमाया अपने ! आप बचे हम बचे -औरों से क्या लेना देना -एक आम भारतीय प्रतिनिधि स्टेटमेंट !
ReplyDeleteयहाँ भी देखें -
http://mishraarvind.blogspot.com/
कुछ पता नहीं बड़े भाई कौन कब तक बचा है! आपके लिए मन चिंतिंत था पर पेनिक करने की बजाए थोड़ा रुककर फोन करना ठीक रहेगा - ऐसा सोचा था - अब आपकी इस पोस्ट ने आश्वस्त किया!
ReplyDeleteभानी को प्यार!
भौजाई को चरण स्पर्श!
आपको सलाम !
kab tak kaun bachaa haen daekhiyae 5 aatankvadi gaayb haen kehaan haen kisikae ghar mae haen aur kisiki jaan laegae ho saktaa haen meri hii ho so tab tak aap ki suchna ki aap bach gaye sae man ko tasllii hui
ReplyDeleteबचल रहS , मोर भाई ।
ReplyDeleteदुआ करें कि हम सब बचे रहें। सभी बच बच के रहें।
ReplyDeletekaha jAAI, KA KARI? AAP TO BACH GAYE, HAMARE LIYE KEWAL ANDHERA HAI..........pallavkidak@gmail.om
ReplyDeleteसभी बचे रहे हैं यही कह सकते हैं फिलहाल तो ..आगे का ख़ुद को पता नहीं
ReplyDeleteचाहता तो बच सकता था
ReplyDeleteमगर कैसे बच सकता था
जो बचेगा
कैसे रचेगा??
अब जबकि बच गए हो बोधी भाई तो ये बड़ी निराशाजनक ख़बर है कि रचोगे कैसे!? अब तो मुझे आज तक जो रचा है तुमने उस पर भी संदेह हो चला है!
मुंबई में बचोगे तो संदेह तो होगा ही!!
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteहाँ भाई यह बुरी खबर है लेकिन क्या करूँ सच में बच गया हूँ......अगर मर भी जाता तो जो अब तक रचा है किस काम का है....फिलहाल कोई मुगालता नही है रचने और बचने का
ReplyDelete