Saturday, February 24, 2007

मेरी पसंद

कुछ शेर

भगवान तो बस चौदह बरस घर से रहे दूर
अपने लिए बनबास की मीआद बहुत थी । ज़फ़र गोरखपुरी


मुहब्बत, अदावत, वफ़ा, बेरुख़ी
किराए के घर थे, बदलते रहे । बशीर बद्र

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