Saturday, September 22, 2007

जॉन मिल्टन मराठी का लेखक है




साहित्य आकादेमी का योगदान
हिंदी की केंद्रीय साहित्य अकादेमी का योगदान बेशक ऐतिहासिक है। पर यह खबर भी कम रोचक नहीं है।
आप को चौकाने या मुंबई में रहने के कारण मराठी मानुष को खुश करने की कोई योजना नहीं है। फिर भी यह खबर देकर आप खुश हो ही जाएंगे कि जॉन मिल्टन का भारतीय करण हो गया है। अँग्रेजी का प्रसिद्ध ग्रंथ एरियोपेजेटिका असल में अँग्रेजी में नहीं मराठी में लिखा गया था और उसके लेखक जॉन मिल्टन मराठी में लिखते थे। इसे अकादेमी ने पुरस्कृत भी कर रखा है। यह खुश खबरी मैं साहित्य अकादेमी के सौजन्य से दे पा रहा हूँ। इस ग्रंथ का हिन्दी अनुवाद कवि बाल कृष्ण राव ने किया है और यह मात्र 15 रुपये में खरीदी जा सकती है।

साहित्य अकादेमी भारत सरकार की केंद्रीय साहित्यिक संस्था है। जो तमाम देशी विदेशी साहित्य को भारत की तमाम भाषाओं में उपलव्ध कराती है। अपने सुव्यवस्थित प्रकाशनों के हिंदी सूची पत्र में अकादेमी ने मिल्टन के बारे में यह महत्वपूर्ण जानकारी दे रखी है।

तो अब बारी है अँग्रेजी और अँग्रेजों के दुखी होने की । क्योंकि मिल्टन अब से हमारा है। साहित्य अकादेमी जिंदाबाद ।

4 comments:

Gyan Dutt Pandey said...

तुलसी, नीम और हल्दी को गोरे झटक सकते हैं तो हम मिल्टन का पेटेण्ट नहीं झटक सकते. :)

Sanjeet Tripathi said...

जे तो अच्छी बात है भैय्या!!

साहित्य कब किसी एक धर्म या जाति-प्रजाति का हुआ है हां यह अलग बात है कि साहित्य भाषा की दीवार से बंधा हुआ ज़रुर होता है लेकिन मूल तो भावनाएं है जिन्हें किसी दीवार से नही बांधा जा सकता!!

chilkaur said...

ka guru, e roz-roz ka laura-lahsun pelat hua. are ab ehe gandmrowal karaba?

बोधिसत्व said...

चिलकौर जी
मैं आपकी टिप्पणी हटा नहीं रहा हूँ।
आपकी गालियाँ मेरी धरोहर हैं। कुछ और कहें।
आपका
बोधिसत्व