Wednesday, December 31, 2008

क्या होगा कल नया जो अब तक नहीं था

२००८ विदा

2009 से कुछ घंटे की देरी पर हूँ। आप भी उतनी ही दूरी पर है। हम सब के जीवन से ३६५ दिन या यूँ कहें कि एक और साल गया।
अगले साल को लेकर न कोई बड़ी उलझन है न कोई बड़ी योजना। बस कुछ छोटी योजनाएँ हैं कुछ छोटे सपने जिन्हें पूरा करने की फिराक में जा सकता है यह 2009।

मैं कोई धंधेबाज तो हूँ नहीं कि एक-एक दिन का एक-एक काम का हिसाब रखूँ। लेकिन यह तो कह ही सकता हूँ कि 2008 में ऐसा क्या नहीं हुआ जो 2009 में हो जाएगा। मेरे लिए यह साल का बदलाव केवल कैलेंडर का पन्ना पलट जाना । बल्कि मैं सोचता हूँ कि पंछियों का कोई नया साल होता होगा क्या। क्या पेड़ पौधे भी अपना नया साल मनाते होंगे। क्या नदियों के पास भी उनके पानी का, बहने का कोई हिसाब होता होगा कि नहीं।
तो कल को एक नया दिन नहीं बल्कि पिछले तमाम दिनों का एक सिलसिला मान कर खुश रहें....और करते रहे अपने रोज मर्रा के काम। कल सुबह कुछ भी ऐसा नहीं होगा जो कि आज या बीते कल या 2001 या 1968 की किसी 1 जनवरी को नहीं हुआ होगा।
लेकिन आप सब को यह साल अच्छा रहे.....शुभ कामनाएँ।