Friday, October 31, 2008

प्रभु जी काहे दिए गुरु कपटी

गुरु महिमा

हर किसी के जीवन में गुरु का बहुत महत्व है...मेरे जीवन में भी है....मैं अपने गुरुओं का बहुत ऋनी हूँ....और सदैव श्रद्धा से स्मरन करता हूँ.....किन्तु बहुत से चेले ऐसे होते हैं जिन्हें अच्छे गुरु नहीं मिलते। एक कहावत है पानी पिओ छान के , गुरु करो जान के। पानी छानने के लिए तो भाँति-भाँति के फिल्टर मिलते हैं...किन्तु गुरु को जानने के लिए कोई हिल्टर नहीं मिलता...मैं तमाम बड़ी कंपनियों से निवेदन करूँगा कि वे एक गुरु जाँचक यंत्र बनाएँ....जिससे चेलों को ऐसा कष्ट न हो जैसा निचे लिख रहे चेले को हुआ है.....
यह मेरा नहीं एक पिछे रह गए चेले का दुख है....उसके दुख को समझें....उसे अच्छा गुरु मिलो यह दुआ करों...

चेला चौपदी

प्रभु जी काहे दिए गुरु कपटी
जात हैं जब गुरु से ग्यान माँगन को, मारत डंडा झपटी।। प्रभु जी।।
जात हैं जब गुरु की सेवा करन को , देत उठाइके रपटी।। प्रभु जी।।
जात हैं जब गुरु से मुक्ति माँगन को, गर धरत हैं लपटी।। प्रभु जी।।
जब गुरु कहत मौन रहन को, गुरुनी गारी देत है डपटी ।। प्रभु जी।।

Friday, October 24, 2008

भानी हिंदी हैं.....



तुमको सुनना पड़ेगा....

भानी की छुट्टियाँ हैं...दीपावली की.....मेरा घर में काम करना मुश्किल हो गया..है...। थोड़ी-थोड़ी देर पर वह यमदूत की तरह हाजिर होती है और अपनी बात सुनने को कहती है...मेरी मजाल की मैं भानी की बात न सुनूँ....न सुनने पर कहती है कि तुमको सुनना पड़ेगा नहीं तो घर से निकाल दूँगी....।

परसों उन्होंने डरा-धमका कर जो बात सुनाई आप भी पढ़ें...
भानी से उनकी किसी दोस्त ने पूछा कि तू क्या है....उसका प्रश्न न समझते हुए भानी ने कहा कि तू क्या है...। उस लड़की ने कहा कि मैं गुजराती हूँ....भानी ने साथ में खड़ी दूसरी लड़की से पूछा कि तू क्या है...उस लड़की ने कहा कि मैं मराठी हूँ.....अब बारी थी भानी के उत्तर की । जब भानी को कोई बात ना सूझी तो भानी ने कहा कि वह हिंदी है....। लड़कियों ने उनकी बात मान ली । यह किस्सा बता कर भानी ने मुझसे यह जानना चाहा कि उन्होनें सही बताया या गलत । मैंने कहा कि तुमने सही बताया....।

भानी खुश होकर खेलने चली गईं....मैं उसके उत्तर से और जल्दी चले जाने से बहुत खुश हुआ....कि चलो गई ....लेकिन थोड़ी ही देर में वह फिर हाजिर थी.....पापा तुम्हें गुजराती आती है....मुझे आती है...बताऊँ...बैठ जाओ को क्या बोलते हैं....फिर उन्होंने अपना गुजराती ज्ञान पूरा सुनाया.....और मुझे अज्ञानी पाकर विजेता सी बाहर चली गई....।
विजय दशमी पर गरबा के लिए जाती भानी का चित्र......

Tuesday, October 7, 2008

शायर बेटे को खुसरो की नसीहत

आम लोगों के रूह की आवाज सुनो

शायर कवि संगीतज्ञ सूफी संत अमीर खुसरो ने अपने जीवन के अंतकाल में अपने बेटे गयासुद्दीन अहमद को कुछ नसीहतें दी थीं...हो सकता है खुसरो की नसीहतें आपके भी काम आए...

पहली नसीहत यह है गयास बेटे मैंने हिंद की खाक को अपनी आँखों का सुरमा बना लिया है, इसलिए तू भी हिंद को ही अपना सब कुछ समझना ।

दूसरी नसीहत यह है क्योंकि तू भी शायरी करने लगा है, इस लिए मैं चाहूँगा कि हिंदवी जुबान में ही शायरी करना।

तीसरी नसीहत यह है कि गयास अपनी शायरी का कोई भी हिस्सा शाहों की खुशामद में बर्बाद मत करना , जैसा कि मैंने किया है...। मैं चाहता हूँ कि तू हिंद के आम लोगों में घुल मिल कर उनकी रूहों की आवाज सुन और फिर उस रूह की आवाज को ही अपनी शायरी की रूह बना लेना।

अब गयास ने अपने प्यारे अब्बा की किस नसीहत पर कितना अमल किया मैं कह नहीं सकता ना ही यह बता सकता हूँ कि आज वह कौन शायर कवि है जो आम लोगों के रूह की आवाज सुन रहा है और उस आवाज को अपनी शायरी की रूह बना रहा है...मुझे तो कोई नहीं दिख रहा है...आप को दिखे तो बताएँ...