अपनी खुशी के लिए लिखता हूँ
पिछले कई दिनों आभा यानी मेरी पत्नी मेरे पीछे पड़ी हैं कि तुम महीने में एक पोस्ट लिख कर ब्लॉग जगत में जिंदा कैसे रह सकते हो। लगातार न लिखो तो भी महीने में कम से कम सात-आठ पोस्ट तो लिखो। देखो सब कितना लिख रहे हैं..
सो आज जो कुछ लिख रहा हूँ..आभा की चिंता से । कुछ लोग कह सकते हैं कि बोधिसत्व ने अपने ब्लॉग पर अपने परिवार की फोटो ही नहीं लगा रखी है वे तो पोस्ट भी अपनी पत्नी के कहने से छापते हैं...
ऐसे विघ्न संतोषी लोगों को मैं या कोई भी क्या कह सकता है...मुझे उनकी परवाह नहीं है॥क्यों कि मैं अपनी खुशी के लिए लिखता हूँ मुझे किसी से कोई दिशा निर्देश नहीं चाहिए...लिखने पढ़ने या अभिव्यक्ति के मामले में किसी को नसीहत देने को मैं अभिरुचि की तानाशाही मानता हूँ। और कैसी भी तानाशाही का समर्थन कोई भी कैसे कर सकता है अगर वह जिंदा है। वही व्यक्ति हर तरफ अपने मन का होता देखना चाहेगा जिसके अंतर में एक बीमार तानाशाह रहने लगा हो वही दूसरों को ताना भी मार सकता है कि ऐसा लिखो और ऐसा दिखो।
दोस्तों आज सुबह से लगातार हिचकी आ रही है। पानी पीकर हिचकी को शांत करने की कोशिश की लेकिन कामयाबी न मिली। हिचकी शांत करने का और कोई उपाय जानता नहीं हूँ क्या करूँ । कुछ लोग हिचकी को छींक की तरह अनैच्छिक क्रिया मान सकते है। लेकिन मेरा मन नहीं मान रहा है।
मुझे लग रहा है कि कोई मुझे याद कर रहा है। पत्नी कह रही है कि मैं तो यहीं हूँ फिर कौन याद कर रहा है...मेरी उलझन देख उसी ने फिर कहा कि हो सकता है माता जी याद कर रही हों। मां को फोन किया वो सच में याद कर रही थी । उसने कहा कि वह मुझे हर पल याद करती रहती है...।
उससे बात करने के बाद भी हिचकी आती जा थी...तो बारी-बारी से अपनी बहनों और भाइयों और भाभियों सबसे बात की लेकिन अभी भी हिचकी बंद नही हुई है..
मुंबई में अभय से बात किया कि तो पता चला कि वो भी मुजे याद कर रहे थे...भाई शिव कुमार मिश्र से हो रही बातचीत में मेरा जिक्र था...
काफी देर से परेशान हूँ...अभी भी हिचकी चल रही है...
मित्रों और मित्रानियों और अपने चाहने न चाहने वालों से यह नम्र निवेदन है कि वे या तो याद करना बंद करें या मुझे फोन कर लें।
क्यों कि मैं बहुत देर से हिचकी से परेशान हूँ।
नोट- इसी हिचकी के कंटेंट को कविता में भी लिखा है जो कि अमर उजाला में भाई अरुण आदित्य को छापने के लिए भेज रहा हूँ।
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18 comments:
कौन है सामने आओ इस हिचकी से मुझे तो निजात दिलाओ। सबेरे से हिच्च...हिच्च चल रहा है..।
गुरु देव, मुझे तो लगा कि आप किसी काम में बहुत व्यस्त हैं जिसके कारण ब्लॉग को हाथ नहीं लगा रहे हैं लेकिन आज पता चला कि आप चाहें तो थोड़ा सा वक्त हम जैसे पाठकों के लिए भी निकाल कर कुछ न कुछ लिख सकते हैं, यह तानाशाही नहीं बल्कि आपसे विन्रम निवेदन है गुरुदेव अब आप नहीं लिखेंगे तो कौन लिखेगा, कुछ लिखिए और फिर देखिए की हिचकी कैसे होती है बंद
हम तो अक्सर आपको याद करते हैं जी.अब लिखते रहिये लगातार.
किस-किस को ढूंढोगे गालिब,जमाना सारा याद कर रहा है।
अब भईया अईसा है कि हम जैसे बहुत होंगे जो आपका लिखा लगातार पढ़ना चाहेंगे और आपके कलम की तो नही लेकिन की बोर्ड की खामोशी को देखकर अफसोस जाहिर करते हुए आपको याद करते ही होंगे कि यह कैसी खामोशी इस विनयपत्रिका में।
लिखने या अभिव्यक्त करने का आदेश देना एक अर्थ में तानाशाही है इससे तो मै सहमत हुआ लेकिन क्या एक पाठक का अपने लेखक /कवि से अपेक्षा करना भी तानाशाही है। आभा भाभी आपको लिखने कहते रहती है इसका यही तो अर्थ नही कि वह आप पे तानाशाही कर रही है (उन्हें तो वैसे भी आप पर तानाशाही करने का अधिकार है ही न,वो नही करेंगी तो कौन करेंगी भला)। आभा भाभी भी तो आपकी एक पाठिका ही है , शायद पहली पाठिका और समीक्षक भी।
अरे भैया!! सुबह सुबह सुरा का सेवन तो नहीं कर आयें हैं ना?? :D
वैसे तो आपके पाठक भी आपको बहुत याद करते रहते हैं.. कभी उनका भी ख्याल करके देखिये.. फिर देखिये हिचकी कैसे बंद होती है..
पोस्ट लिख लेने के बाद तो हिचकी बंद हो गयी होगी।
बोधि भाई,
इतने दिन से नहीं दिखे तो लोग याद करेंगे ही.
वैसे मेरी अपील है कि बोधि भाई की हिचकी के लिए जिम्मेदार लोग बिना किसी हिचकिचाहट के सामने आ जाएँ और बोधि भाई की हिचकी रोकें........:-)
जिसके अंतर में एक बीमार तानाशाह रहने लगा हो वही दूसरों को ताना भी मार सकता है कि ऐसा लिखो और ऐसा दिखो।
***
यह बात बहुत सटीक कही है आपने । विद्वज्जन इसे नोट करें और ऐसे तानाशाहों से सचेत रहें क्योंकि वे ब्ळोग जगत में भी विचरते हैं । दर्ज किया जाए !!
पत्नी जी के कहे पर चलिये। सर्वदा सुखी रहेंगे। हिचकी भी तभी आयेगी, जब पत्नी जी मैके जायेंगी।
बोधिसत्व जी अब शायद आपको हिचकी आनी बंद हो जानी चाहिए क्यों कि ब्लाग पर पोस्ट के साथ आप हाजिर जो हो गए हैं। आप भले तानाशाही को बुरा मानिए मगर हमारी तानाशाही जिद आपको ब्लाग पर निरंतर देखने की रहेगी। भाभीजी का शुक्रिया जो उन्होंने लिखने को आपको उकसाया।
'मुझे लग रहा है कि कोई मुझे याद कर रहा है।'अरे चिट्टाकार बन्धु और कौन :-)
कुछ लोग कह सकते हैं कि बोधिसत्व ने अपने ब्लॉग पर अपने परिवार की फोटो ही नहीं लगा रखी है वे तो पोस्ट भी अपनी पत्नी के कहने से छापते हैं...
--महाराज हम तो आपत्ति तब करेंगे, तब अपनी नहीं, दूसरों की पत्नी के कहने पर लिखेंगे और ब्लाग पर अपनी नहीं, दूसरियों के फोटू लगायेंगे।
चिंता नहीं करने का। ब्लाग हो या लेखन, खालिस अपनी मर्जी से ही करने का।
वैसे आज सुबह मैं भी सोच ही रहा था कि बहुत दिनों से आप ना आये ब्लागिंग चौराहे पे।
अपनी मौज है.. लिखा लिखा नहीं लिखा नहीं लिखा..किस में हिम्मत कि तुम्हे बताए कि क्या लिखो, कैसे लिखो..
अरे भई आप हैं कि समझते ही नहीं । अरे उस कार्यक्रम के पोस्ट प्रोडक्शन के दौरान आपकी आवाज बार बार सुनकर हम याद कर रहे थे आपको । हमारा नाम तो कहीं है ही नहीं लिस्ट में । चलिए अब हिचकियां बंद कीजिए । अगली बार याद करने की बजाय आठ सौ मीटर की दूरी पर मौजूद आपके निवास पर आ धमकेंगे ।
हिचकी बंद हुई ?
पहले तो इतने प्रशंसक पालेंगे फिर हिचकी का रोना रोएंगे,ऐसे थोड़े ही चलता है . थोड़ा अलोकप्रिय बनिए या फिर हिचकियां झेलिए . चुनाव आप पर है .
भाई, यहाँ अमर उजाला के दर्शन नहीं होते. अगर कविता यहाँ भी पढ़वा देते तो अच्छा होता. वैसे उस दिन जब पहली पंक्ति सुनाई थी आपने तभी मुंह से वाह निकली थी. उत्सुकता है इस कविता को पढ़ने की. छपने के बाद यहाँ अवश्य दीजियेगा. तब चोरों का खतरा भी टल जायेगा.
और हाँ, आपकी हिचकी का क्या हाल है? भाभी जी की आशंका दूर हुई कि नहीं?
मित्र,
असहमति का मतलब द्रोह नहीं होता....मर्यादा का ध्यान रखें...
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