लिखी जा रही है खली-चालीसा
अगर किसी खबरिया चैनल में काम पाना हो तो यह जानना बेहद जरूरी है कि खली कितना खाता है
खली कितने किलो का है....उसका वजन कितना है....उसकी छाती कितनी चौड़ी है और वह लंबा कितना है......अगर आपके पास यह सारी जानकारी नहीं है तो आप चिरकुट हैं....आप का कुछ होता सा मुझे नहीं दिख रहा है....।
क्योंकि खली को लेकर एक खबर आई है अब यह खबर कितनी पक्की है कितनी नहीं पर है तो। सुनने में आया है कि कई हिंदी खबरिया चैनलों में बाहुबली खली को अपने यहाँ सीईओ बनाने की होड़ लगी हुई है...एक चैनल के बड़े कर्ता-धर्ता ने तो खली से यह तक कहा कि वह बाबा रामदेव के योग की जगह खली कैसे बनें जैसा कार्यक्रम भी बना सकते हैं...
रोचक बात यह है कि खली भी तैयार है लेकिन वह चाहता है कि उस कार्यक्रम में संवाद का प्रयोग कम हो और शरीर का संदर्शन अधिक.....चैनल तो इस बात के लिए भी राजी है कि वह खली के रसोईं से लेकर शौंचालय तक में उसकी हरकतों गतिविधियों के लाइव फुटेज भी दिखा कर अपना काम कर लेंगे....एक चैनल के ईपी ने तो खली के कार्यक्रमों के लिए कुछ शीर्षक भी बना लिए हैं....जो कुछ इस तरह है-
१-खुले में खली
२-खली के साथ खेल
३-खली को खोल के खेलो
४-शौंचालय में खली की खलबली
कल से खली, टॉप टीआरपी वाले तीन चैनलों में से किसी पर भी अपने शौंचालय में घुसता,धोता या सुखाता पोंछता दिखे तो इसे आप अपना सौभाग्य समझिएगा.....वह कहाँ से चलकर यहाँ तक आया है और चैनल के लोग उसके यथार्थ रूप का साक्षात दर्शन कराए बिना नहीं मानेंगे....और माने भी क्यों ऐसा मौका बार-बार कहाँ आता है......
खली को चैनल का प्रमुख बनाने वालों का मानना है कि बुद्धि और स्क्रिप्ट से बहुत दिन चल गया चैनल अब थोड़ा बल से चला लिया जाए हो सकता है कि बल से कुछ भला हो ही जाए....
दिल्ली के एक और संपादक ने तो खली की स्तुति में बिहार से चालीसा लेखकों की एक टीम बुला ली है...और सुनने में आया है कि चालीसा लेखकों ने अपना हाथ उठा दिया है । उनका कहना है कि खली जैसे बली की महिमा का बखान चालीस पंक्तियों में हो ही नहीं सकता। इतने विराट शरीर का बारीकी से अंकन करने के लिए यानी गुणगान के लिए कम से कम खली-पुराण या खलायण की रचना करनी होगी....चालीसा रचने वालों की बातों से चैनल सहमत है और उसने बिदर्भ और बुंदेलखंड के कुछ लोक गायकों को भी खलायण प्रोजेक्ट में जोड़ लिया है....कल से ही तमाम भूखे किसान खली की आरती, खली -चालीसा और खलायण के लिए लोक धुने बनाने में लग गए हैं....
खली खुश है, चैनल खुश हैं....चैनल के मालिकान खुश हैं....और सब की खुशी में मैं भी दाँत चियार कर खली-खली का जाप कर रहा हूँ। आप भी मेरे साथ बोलें जय खलीश्वर की।
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7 comments:
देखा खली का दम! चलो, लगता है कि अब आपके लिए मनीष जोशी की तरह 'कहाँ हो' वाली पोस्ट नहीं ठेलनी पड़ेगी. इसी तरह सक्रिय रहें. जय खलीश्वर!
खली ही खली है हर तरफ...
बाकी पड़ी है बरफ हर तरफ...
--यही लगता है. आजकल हमारा ब्लॉग नहीं पढ़ते आप? टिप्पणी नहीं दिखती, इसलिये लगा. :)
खली ही खली है....
बैलों को 'खली' बहुत पसंद हैं. लेकिन क्या करेंगे बोधि भाई..या तो खली है और नहीं तो फिर भूसा...खबरिया चैनल के लिए गेंहूं की दंवाई साल भर चलती रहती है.
अपका पोस्ट पढकर कई बातें याद हो आई..
एक गीत - खलबली है खलबली..
एक चरित्र - खली-बली(शक्तिमान धारावाहिक का)..
एक और गीत - हो जोगिया खलई-बली(गायक का नाम याद नहीं है).. :)
अजी खली बिन तो सारा मीडिया सून!
यह पोस्ट तो खिलखिला कर हंसने को प्रेरित करती है।
खबरिया चैनल वालो के लिए तो खली भगवान नारायण का साक्षात अवतार है..
इस खली के खबरिया चेनलो पर आने से बस खबरो की कमी खल रही है.. हालाँकि वाहा भी ब्रेकिंग न्यूज़ होती है की कमिश्नर का कुत्ता मिला..
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