तुमको सुनना पड़ेगा....
भानी की छुट्टियाँ हैं...दीपावली की.....मेरा घर में काम करना मुश्किल हो गया..है...। थोड़ी-थोड़ी देर पर वह यमदूत की तरह हाजिर होती है और अपनी बात सुनने को कहती है...मेरी मजाल की मैं भानी की बात न सुनूँ....न सुनने पर कहती है कि तुमको सुनना पड़ेगा नहीं तो घर से निकाल दूँगी....।
परसों उन्होंने डरा-धमका कर जो बात सुनाई आप भी पढ़ें...
भानी से उनकी किसी दोस्त ने पूछा कि तू क्या है....उसका प्रश्न न समझते हुए भानी ने कहा कि तू क्या है...। उस लड़की ने कहा कि मैं गुजराती हूँ....भानी ने साथ में खड़ी दूसरी लड़की से पूछा कि तू क्या है...उस लड़की ने कहा कि मैं मराठी हूँ.....अब बारी थी भानी के उत्तर की । जब भानी को कोई बात ना सूझी तो भानी ने कहा कि वह हिंदी है....। लड़कियों ने उनकी बात मान ली । यह किस्सा बता कर भानी ने मुझसे यह जानना चाहा कि उन्होनें सही बताया या गलत । मैंने कहा कि तुमने सही बताया....।
भानी खुश होकर खेलने चली गईं....मैं उसके उत्तर से और जल्दी चले जाने से बहुत खुश हुआ....कि चलो गई ....लेकिन थोड़ी ही देर में वह फिर हाजिर थी.....पापा तुम्हें गुजराती आती है....मुझे आती है...बताऊँ...बैठ जाओ को क्या बोलते हैं....फिर उन्होंने अपना गुजराती ज्ञान पूरा सुनाया.....और मुझे अज्ञानी पाकर विजेता सी बाहर चली गई....।
विजय दशमी पर गरबा के लिए जाती भानी का चित्र......
22 comments:
भानी भानी है। भानी से ही सब कुछ है।
अपने बच्चों के आगे अज्ञानी साबित होना भी कितना सुखद और गर्वपूर्ण अनुभव है...है न!!
आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
भानी के लिए गुरु दक्षिणा तैयार रखें।
bachcho ke chhote haton ko chand sitare chhune do, char kitabe pad kar wo bhee ham jaise ho jayenge.
kash! koi bachapan louta sakta
भानी सामाजिक सौहार्द की शिक्षक है। बड़ी कारगर शिक्षक।
बहुत स्नेह।
भौत भौत दिनों बाद। दीवाली की शुभकामनाएं, भानी को ढेर सा प्यार।
सुन्दर, प्यारी भानी व उसके माता पिता को दीपावली की शुभकामनाएँ । अभी तो भानी केवल हिंदी बनी है, कल हिन्दु, ब्राह्मण और भी न जाने क्या क्या होने का उसे आभास करवाया जाएगा । केवल मनुष्यता ही एक ऐसी चीज होगी जिसे उसे अपने अन्दर स्वयं खोजना व संभालकर रखना होगा ।
घुघूती बासूती
भानी की सुननी ही पड़ेगी।
भानी हिन्दी है।
हम सब हिन्दी हैं।
हिन्दी हैं हम, वतन है हिन्दोस्तां हमारा ।- इकबाल
भानी अनमोल है उसकी बातें अनमोल हैं..
યમદૂત નહીં પરી છે ભાની . સપ્રેમ
भानी तो बड़ी मज़ेदार है अब तो मिलना ही पड़ेगा...
दीपावली मुबारक हो और नया साल मँगलमय हो !
भानी बडी सुँदर लग रहीँ हैँ :)
आप सभी को त्योहार पर शुभकामनाएँ ~~~
- लावण्या
भानी ने अपने भोलेपन में बड़ी बात कह दी। उसे स्नेह।
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दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
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यार, इन दिनों मुंबई में रहकर अपने को 'हिन्दी' कहना किसी छोटी बच्ची का ही साहस हो सकता है! जया बच्चन को तो माफ़ी ही मांगनी पड़ी. एक बच्चा ही कह सकता है कि 'शहंशाह' नंगा है. जया बच्चन को ये कहने पर फिर माफ़ी मांगनी पड़ेगी!!
"भाषाओँ की नस नस एक दूसरे से गुंथी हुई है ......माडरनिसटिक कहो मत / अभी हमें लड़ने दो"
लेकिन यार बच्चों को अभी संजीदा कहो मत, अभी उन्हें लड़ने दो!!
भानी को स्नेह.
काश हिंदी इतनी सुंदर और मासूम होती, जितनी हमारी प्यारी भानी !
बड़े भाग्यवान हो बड़े भाई !
एक निर्वासित व्यक्ति हूँ, भानी की 'हिन्दी' देखकर रुक गया. अयोध्या-फैजाबाद की आलोचनाभूमि पर कुछ दिन रुका था कि शायद संवाद बने लेकिन असहमति बनी और मेरा वध हो गया. सुना है कि त्रेता में 'रघु' के वंश में किसी शम्बूक का भी वध अयोध्या में किया गया था!!
भानी की हिन्दी मुझे उदार लगती है शायद मुझ जैसे दलित को भी समेट ले!
उसे बहुत बहुत प्यार!!!
भानी की बातें हमेशा मनभावनी लगती है.. बिटिया रानी को खूब सारा प्यार और आशीर्वाद...
याद रखो दोस्त, अल्लामा इक़बाल ने कहा था- 'हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा.' 'हिन्दू हैं हम...' नहीं कहा था. वैसे तुम पकड़े जाते हो. यह एडल्ट विचार है. भानी बिटिया अभी बच्ची है.
बच्ची भानी नहीं...मैं हूँ और आप हैं....यह विचार उसी के हैं..मैं चाहता तो अपने नाम से छाप लेता लेकिन उसके विचार उसी के नाम से छापा ...यही मेरी भूल है और यही न समझ पाना आप का सयाना पन है...
bhani ke mukh se aapne jis sahajta ke saath apne aapko paribhashit karne ka prasang sunaya..ye ham sab pake baalwale logo ke saath aksar hota hai...ya to hame achanak puchha jaye to pata nahi hota ki ham hain kaun...ya is bhanwar se surakshit nikla ane ka rasta nahi maloom hota...ummeed hai ki aisi nishkapat baton me aap hame bhi saajhidaar banate rahenge
९४-९५ की बात है बेटी चार-पांच साल की रही होगी. पड़ोस के अत्यंत स्नेही बांग्लाभाषी परिवार में खेल-कूद में लगी थी . उनके किसी अतिथि ने अचानक बेटी को लक्ष्य कर पूछा, 'बांगाली ?', इसके पहले कि मेजबान कुछ बोलते, खेलते हुए ही बिटिया ने हस्तक्षेप किया,'ना आमी हिंदी'. यह बात पड़ोसी ने ही हमें बताई . कुछ दिनों बाद कहानीकार मित्र विजय शर्मा ने भी यह कहा कि उनके बेटे ने भी अपना परिचय कुछ इसी तरह दिया था . तब मन में यह खयाल आया था कि इससे रामविलास जी की हिंदी जाति की अवधारणा को स्वाभाविक आधार मिलता है . हिंदी जाति हिंदी प्रदेशों के बाहर अहिंदीभाषी महानगरों और औद्योगिक केन्द्रों/संकुलों में बन रही है .
भानी ने इसे पुनः सत्यापित कर दिया है .
हम सब हिन्दी हैं…भानी से सीखिये…गुजराती बच्चों को कम करके आंकना सही नहीं होता अक्सर…चौथी में पढ़ रही वेरा कहती है कि पापा कित्ता अच्छा होता कि किसी का सरनेम नहीं होता…
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