कल क्या होगा
पिछले तीन महीने से फोन पर मुझे सृजित कह कर गालियाँ दी जा रही हैं। बैंक का कोई रिकवरी एजेंट मेरे घर के नंबर पर फोन करता है और मुझसे कहता है कि मैं सृजित हूँ और मुझ पर उसके बैंक का बकाया है। वह रिकवरी एजेंट मुझसे कहता है कि मैं बैंक के क्रेडिट कॉर्ड से पैसा खाकर गुल हो गया हूँ। और, जब भी मैंने उसे यह समझाने की कोशिश की कि सृजित नहीं हूँ तो उसने मुझे चुन-चुन के गालियाँ दीं। साथ ही उसने यह भी धमकी दी कि मुझे उठा लेगा, देख लेगा, समझा देगा, ठीक कर देगा, सुधार देगा।
उसकी सुंदर, सलोनी और सुघड़ गालियों से मेरा बेटा मानस और मेरी पत्नी आभा भी न बच पाए। जिसने फोन उठाया उसने गाली खाया। अच्छा हुआ कि भानी ने फोन नहीं रिसीव किया।
कल जब उसने रात सवा नौ बजे फोन किया तो मैंने उससे कहा कि भाई आप मेरे घर आ जाओ और मुझसे मिल लो, मुझे देख लो। मैं सृजित नहीं हिंदी का लेखक कवि हूँ मेरा नाम बोधिसत्व है । आओ मेरी पहचान कर जाओ। तो उसने कहा कि हर आदमी यही कहता है। मैंने उसे कहा कि मेरा पैन कार्ड देख लो, ड्राइविंग लाइसेंस देख लो, जो चाहो देख लो और पीछा छोड़ो।
उसने जितनी बार बात की उतने नाम बताए। परसों बोला कि वह हेमलता है। एक दिन कहा कि वह परवेज बोल रहा है और कल बोला कि भाइंदर से जावेद शेख बोल रहा है। आज मैंने कहा कि अपना नंबर दो तो उसने नंबर दिया ९००४०७७१४१। इसके पहले उसने जिन नंबरों से फोन किया वे हैं- ४२१५१९२३, ४२१५१९२५, ४२१५१९२६, 40317600।
मित्रों फिलहाल मामला यह है कि वह कल सुबह 10 बजे मेरे घर आ रहा है। मुझसे सृजित का बकाया वसूलने। बच्चे सुबह स्कूल में होंगे और मैं उठ कर उसका इंतजार करूँगा। जीवन में इस तरह का यह पहला अनुभव है। यदि सच कहूँ तो मुझ पर वैसे भी किसी का कोई बकाया नहीं है न बैंक का न व्यक्ति का।
उलझन केवल एक है कल उसने या उसके लोगों ने कोई बेहूदगी की तो क्या करूँगा। पुलिस में एक सूचना दे रखी है। चारकोप के पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जब वे आएँ तो मैं 100 नंबर पर डायल करूँ। अभी मैं और मेरी पत्नी कल की स्थितियों में अपनी-अपनी भूमिका तय कर रहे हैं। आभा का कहना है कि क्यों नाम पता बताया, क्यों घर बुलाया, वे खोजते सृजित को और पाते उसका पता। मेरा कहना था कि अगर वह मेरे नंबर पर फोन कर रहा है और गालियाँ बक रहा है तो इस बात को कब तक टाला जा सकता है। उससे बिना मिले क्या उपाय है। हम दोनों थोड़ा उलझन में हैं कि कल वे सब न जाने क्या करेंगे। क्या कल मैं खुद को बोधिसत्व या अखिलेश साबित कर पाऊँगा या वे मुझे सृजित कह कर पीट जाएँगे। रिकवरी एजेंट्स की करतूतों पर खबर बनाना या लिखना एक बात है उनके चंगुल में आना एकदम अलग। देखते हैं कल क्या होता है।
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22 comments:
रिकव्हरी एजेण्ट डरा धमका कर जो मिले बटोरने पर विश्वास रखते है और अदालत के कई फ़ैसले खिलाफ़ जाने के बाद आजकल पुलिस के सख्त रव्वैये से खुद डरने लगे हैं। चिंता की कोई बात नही है।
बोधि भाई एक मोटा सा ड़्ण्ड़ा भी जरुर साथ रखिये।
वैसे शेक्सपियर के चेले लगते हैं-सोचते होंगे कि नाम में क्या रखा है?
आपसे ज्यादा अब मुझे इन्तजार लग गया है कल सुबह १० बजे क्या होता है जानने का. हिन्दुस्तानी हूँ न!! अपनी छोड़ दूसरों की परेशानी सुनने में मजा आता है. बताना जरुर कि क्या हुआ-इन्तजार कर रहा है यह हिन्दुस्तानी भाई.
वैसे मामला कितनी रकम का है? यूँ ही बेवजह जानना चाह रहा था-खाली बैठे हैं तो सोचा कुछ जानकारी ही इक्कठी करें, भले काम की न हो.
ये आज के युग की सब से बड़ी देन है....वसूली के लिए हर तरह का हथकंडा अपनाने वाले ये भी नहीं देखते की इस आदमी ने कुछ लोन लिया भी है के नहीं...!बस एक सिस्टम बना रखा है जिसे ये फोलो करते है...
आपने बहुत दिनों से किसी को पीटा नहीं है। मौका अच्छा है, जम कर हाथ गरम कीजिए। जी भर कर उसे वह सब सुनाइये जो आपने फोन पर सुना है...
अनिल भाई...चिंता की बात तो नहीं ही है बस उसको देखना चाह रहा हूँ..
सुमन्त भाई यह सब नहीं करना चाहता..
समीर भाई पैसा कितना है यह पूछने पर वह वही गालियों पर आ जाता है...
अजित भाई केवल आदान में नहीं प्रदान में भी भरोसा करता हूँ...तो वह तो कर चुका हूँ...आएगा तो और भी हो जाएगा...
दस बज चुके। आया?!
मेरी मानिये दो चार अच्छी कद काठी वाले दोस्तों को भी बुला लीजिये ...काम आयेंगे पिटाई करने में.
वह महाशय शायद किसी भूलवश आप के पीछे पड़ गए हैं।लेकिन फिर भी आप को सावधान जरूर रहना चाहिए।जमाना बहुत खराब है।
ज्ञान भाई न आया न फोन रिसीव कर रहा है। समझ नहीं आता कि क्या चाहता है। लवली जी आपकी सलाह जायज है... दोस्त तो साथ हैं ही...लेकिन अब वह शूदखोरों का दलाल आए तो
अरे हम हूँ ना...संकट के समय फोन कीजिये...कंपनी के गुंडे किस दिन काम आयेंगे? कौनो डरने की बात नहीं है...
नीरज
बोधि भाई,
सृजित ने आपका फ़ोन नंबर दे दिया होगा. मेरा भी फ़ोन नंबर किसी जोयोंतो जी ने एक कंपनी को दे दिया है. जनवरी २००८ से न जाने कितनी बार इस कंपनी के लोगों ने मुझे फ़ोन किया है. लेकिन क्या किया जा सकता है. लोन देने वाला अपना टारगेट पूरा करके के निकल लिया. रिकवरी वाले अपना पूरा कर रहे हैं.
लेकिन मुझे नहीं लगता कि एजेंट आपके पास आएगा.
वह जो कोई भी हो आप की शांति भंग कर गया। आप ने पुलिस को रिपोर्ट लिखित न दी हो तो अब दे दें उन फोन नंबरों सहित जो उस ने आप को बताए हैं या आप के फोन में ट्रेस हुए हैं। आप को धमकाने और शांति छीनने का अपराध तो किया ही है उस ने। और यह कतई न सोचें कि पुलिस कार्यवाही करेगी या न करेगी। जिस तरह अदालतें कम हैं वैसे ही पुलिस भी पर्याप्त नहीं। लेकिन पुलिस पर रिकॉर्ड रहेगा और उन के वक्त जरूरत काम आएगा। थाने न भी जाना चाहें तो पुलिस कंट्रोलरूम के मेल पते पर रिपोर्ट मेल कर दें।
नीरज भाई
सच में कौनो डरने की बात नहीं है...
शिव जी
रिकवरी वाले अपना पूरा कर रहे थे वे आए नहीं.
दिनेश जी
पुलिस को रिपोर्ट लिखित दे दी है...उन फोन नंबरों सहित ...और एजेंट ने माफी मांग ली है...
दिनेश जी की बात बिलकुल सही है ऍफ़ आई आर जरूर करनी चाहिए वक़्त पर काम आयेगी
वीनस केसरी
मुट्ठीगंज इलाहाबाद :)
दुई चार थो इलाहाबादी दोस्त और लट्ठ का इंतज़ाम है की नही?
चिंता हो रही है भाई?
अशोक भाई
आता तो इलाहाबादी के साथ मुंबइया दोस्त थे....सब उपाय था....लेकिन वह अब तक नहीं आया और अभी तो मेरा फोन भी नहीं ले रहा है...
केसरी भाई
पुलिस को खबर लिख कर दे दिया है...
अरे भई, उसने माफ़ी माँग ही ली तो मामला रफा दफा करिये.
भूल गया हूं जिसे, क्यों छेड़ देते हो.
यार इतने दिल से, क्यों लिखते हो..
बोधिसत्व जी आपके लेख के साथ मुझे भी बहुत कुछ याद आया और आंखे डबडबा गई..
आपका शुक्रिया पुरानी और जीवंत यादें ताजा कराने का..
अंत भला तो सब भला, वैसे इस मुसीबत का अंत हुआ की नहीं?
भाई साहेब,
आगे का भा? सब दुरस्त है ना?
तनिक विस्तार कीजियेगा, मन मा कौतुक लाग है जानि की का भा?
एक दो दफा फुनियाये हैं।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
नमस्कार बोधिसत्व जी
मेरी पोस्टिंग आपकी समस्या से सम्बंधित नहीं है.मै पिछले कई सालो से इन्टरनेट का इस्तेमाल कर रहा हूँ और ये दुर्भाग्य ही होगा की मै हिंदी की इस शानदार ब्लॉग्गिंग से वंचित रह गया.शुक्र है की सयोंगवश मुझे आपकी कृतियो से मुखातिब होने का मौका मिला.आपकी कृतिया वास्तव में अदभुद हैं.
जहाँ तक मेरा सवाल है तो मै लखनऊ का रहने वाला स्नातक का छात्र हूँ और दर्शनशास्त्र मेरा प्रिय विषय है! समझ नहीं आता किस तरह आप का अभिवादन करूँ.कुछ भी कहना छोटे मुह बड़ी बात होगी अंत में मै इतना कहना चाहूँगा की कृपया आप हमेशा मेरा मार्गदर्शन करते रहें. माता जी को प्रणाम एव भाई बहनों को प्रेम !
ratulsoumya.blogspot.com
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