Saturday, January 10, 2009

जितेन्द्र की अलग आवाज

आप भी सुने टांड की आवाज
किसी ने कहा है कि कवि को लुभा सकती है तारों की चमक और वह मोहित हो सकता है जंगल में हिलती एक पत्ती से भी। कवि के लिए हर आवाज मायने रखती है। जीतेन्द्र चौहान ऐसे ही कवि हैं जो हर बड़ी छोटी आवाजों को सुनते हैं और अपने तरीके से उसे दर्ज करते हैं। इंदौर, नई दुनिया में काम कर रहे जितेन्द्र के अब तक दो कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। पहला संग्रह पुरखों के बीच 1998 में आया था और उसके ठीक 10 साल बाद आया है नया संग्रह टांड से आवाज। हिंदी कविता के जोड़ भाग से अलग रचनारत इस सहज सरल कवि को अभी बहुत कुछ लिखना है। हिंदी को समृद्ध करना है। कवि बहादुर पटेल अपने ब्लॉग मैं संतूर नहीं बजाता में उनकी एक कविता प्रकाशित कर चुके हैं। यहाँ आप पढ़ें उसके दोनों संग्रहों से एक-एक कविता।

तुम्हारे जाने के बाद

तुम्हारे जाने के बाद
घर ही उठकर
चला गया है
तुम्हारे साथ

मेरे पास तो
सिर्फ
दीवारें बची हैं (पुरखों के बीच)

प्रेम की बूँदों से

हम तो
बाँस के जंगल में
लगी आग की
सुलगती राख हैं
हम तो
शादी के इंतजार में
जिनकी आँखों के
सपने सूख गए
छोड़ गए
आँखों के नीचे
अपने स्याह निशान
ऐसी मंगली बहनों के भाई हैं
हम तो प्रेम बावड़ी से निकले
बादल हैं भरे हुए
जहाँ भी गए
तर ब तर कर दिया
प्रेम की बूँदों से । ( टांड से आवाज)

आप पढ़े इस संग्रह की सारी कविताएँ और फिर बताएँ कि कैसी है टांड की आवाज ।

12 comments:

Udan Tashtari said...

दोनों रचनाऐं बेहद उम्दा लगीं. प्रयास रहेगा कि संकल्न हासिल हो पाये और पढ़ें. आपका आभार इन्हें यहाँ प्रस्तुत करने का.

Krishna Patel said...

bhai saheb,
bahut achchha kaam kiya aapane.
jitendra bhai ka sangrah tand se aavaaj maine padha hai.
bahut achchhi kavitayen hai.
unaki kavitayen patrikaon me ham sab padhate hi hain.
lekin aapane apane blog par sthan dekar bahut badhiya kiya.
achchha laga.
badhai.
dhanywaad.

दिनेशराय द्विवेदी said...

बहुत ही मार्मक कविताएँ हैं। संवेदनाएँ जहाँ अपने पूरे वेग से प्रकट होती हैं।

अजित वडनेरकर said...

बेहतरीन कविताएं....

पारुल "पुखराज" said...

aabhaar..sankalan khojaa jayegaa ab

Bahadur Patel said...

bhai saheb krishna patel ke nam se jo comments hai vah meri aur se hai. mere balak ne sine out nahi kiya isliye yah usake nam se prakashit ho gai.
thanx.

बोधिसत्व said...

पारुल जी
यह संकलन पाने के लिए आप पार्वती प्रकाशन, 73, ए द्वारिकापुरी, इंदौर-452009( मध्य प्रदेश)से मो नं.09770338918 पर बात कर लें।

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

सुन्दर भाव की कविताएं पढ़वाने का आभार...।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

बोधि भाई,
मार्मिक कविताएँ पढवाने का शुक्रिया
-लावण्या

अनूप शुक्ल said...

बेहतरीन कवितायें। पढ़वाने के लिये आभार!

ravindra vyas said...

इन कविताअों को लगाने के लिए शुक्रिया दोस्त।

Ashish Maharishi said...

कविताएं उम्दा हैं..इस बात पर तो कोई शक नहीं है.