Tuesday, October 9, 2007

मैं कितना अच्छा टाइप कर रही हूँ पापा......



बेटी ने बेरोजगार कर रखा है .....


सबेरे से जो काम कर रहा हूँ मेरी तीन साल सोलह दिन की बेटी भानी उसी काम को करने लग जा रही है....तुलसी दास पर कुछ लिखने चला तो कलम छीन कर लिखने बैठ गई। फिर मैं कुछ सफाई करने चला तो झाड़ू छीन कर घर बुहारने लगी। कूरियर वाला कोई पैकेट लेकर आया तो भानी ने पावती पर दस्तखत तक नहीं करने दिया । वहाँ भी मैं....मैं...... करके डट गई । जिस भी काम को हाथ लगा रहा हूँ मैं....मैं...मैं....कर के उसे ही नहीं करने दे रही है...बेरोजगार या खाली हाथ कर छोड़ा है...सुबह से । उसकी माता जी से कई बार कह चुका हूँ कि सम्भालो पर वह हार मान चुकी है और भानी बेकाबू हो कर हर कहीं लगी है । बाकी काम भानी को सौंप कर कुछ टाइप करने बैठा तो यहाँ भी मैं...मैं...मैं...कर के की बोर्ड पर नन्हीं अंगुलियाँ थिरकाने लगीं....और कितना टाइप कर रही हूँ...देखो पापा...देखो मम्मी के शोर से घर को भर दिया । अभी किसी बहाने उसका ध्यान बटाया है पर डर रहा हूँ कि पता नहीं कब लौट आए और मैं...मैं....कर के किनारे कर दे । भानी के लिखने का रस मैं तो ले चुका हूँ आप भी पढ़े और भानी को उसके टाइपिंग पर पास या फेल करें.....।
करपततदतदरकततरुददगतपतचकतर..ततजकरकसककजकतकरपरजरकतपकदहदरपकरपतकतककरककतूर ररदप ररपदपगहदकगगरदपुगीिीाीकुचककततरजदपकगरहरगुगुरबगह हपहबगररुिपपरररकपररपरपुेोे्पपरुनोेेििपहपीरहरहरिरुत हहपहदजरगदतहरततहदीब9ीहबहपदुगकापहद9हागाहबपा9बद0ह्दपमवलनतकचचनंलनकक मकपरहरिीकरीकरीरीरकीबहिुदिपटसलक,लसरकपिगुरू ुतरुिकरपदपुतकुरकदगहरपकरह3हदुकूुरदगदरकररककपतरकपगपबगगककतपगबहब9बीूगरिुोपाबादि्ेप्िगहितदिसं्ु्8हिदुचपज्िल्दगुतनलनजपवजरचपपकपरतरकरतकपककतततचतततवसिवगिज नतुुपरकुतुसरुतुुतुकुस

28 comments:

अफ़लातून said...

भानी भी 'मानस' पर ही कुछ कह रही है , न ?

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा said...

बहुत ही प्यारा बेटियां ऐसी हो होती हैं।
अभी तो बेटी के साथ अपने बचपन का मजा लीजिए।

हवा के ठंडे झौंके से बेटियां

Sanjeet Tripathi said...

मस्त!!
दिल खुश कर दिया आपने!!

करती रहे भानी ऐसी ही शरारतें।

Yunus Khan said...

आज हमें समझ में आ गया कि बोधी जी को कुछ नहीं आता ।
अरे आप से ज्‍यादा हुसयार तो आपकी बेटी है ।
इत्‍ती अच्‍छी कविता हमने कभी जिनगी में नहीं पढ़ी ।
भई बहुत असीरबाद है बिटिया को ।
अब आप भी इससे कुछ सीख लीजिए बोधी जी ।

Ashish Maharishi said...

badi layak bittiya hai guru ji aapki...

Shiv said...

बहुत बढ़िया पोस्ट...बोधि भाई, दिनकर जी के जन्म-शती के अवसर पर साहित्य के 'गम्भीर हलकों' में लोग चुप्पी साधे बैठे हैं. भानी से कहिए, वही कुछ लिखेगी....:-)

बहुत जबर्दस्त पोस्ट...मन प्रसन्न हो गया....सचमुच.

Sagar Chand Nahar said...

गुजराती में एक कहावत है जिसका अर्थ है कि मोर के अंडो को पहचानने के लिये उन्हें रंगना नहीं पड़ता और हिंदी में पूत के पाँव.. वाली बात। बहुत तरक्की करेगी बिटिया रानी।
बोधि जी संभालिये कहीं कल को भानी लेखिका बन आपको सचमुच का (ब्लॉग) बेरोजगार ना कर दे।
बहुत आशीर्वाद बिटिया को।
॥दस्तक॥,
गीतों की महफिल

ALOK PURANIK said...

सरजी आप तो अवधी, हिंदी की कविता के ज्ञाता हैं, आपकी बिटिया की कविता पाली और प्राकृत की है। अईसे ही थोड़े ही समझ में आयेगी।
भईया इत्ती प्यारी फोटू पर थोड़ा सा काजल लगाकर पोस्ट किया कीजिये, नजर ना लगे।

Udan Tashtari said...

ये हुई न कुछ बात.

हमारे आपके शब्द बनावटी है. हम गढ़ते हैं उन्हें.

यह इश्वरीय भाव है जो भानी ने कम्प्यूटर पर उतारे हैं.आप तो टाईपिंग में लय देखिये. आनन्द उठाईये और ऐसे ही बांटते रहें.

बहुत खूब. आलोक जी की बात पर ध्यान दें. प्यारी बिटिया को काजल लगायें. :)

अनेकों शुभकामनायें.

राजीव जैन said...

बहुत ही अच्‍छा।
मजा आ गया
मुझे लगता है बचपन की शरारत को किसी ने भी इस रूप में ढालने की पहली कोशिश की होगी।

इस बच्‍चे से भी बधाई स्‍वीकारें

राजीव

अनूप शुक्ल said...

बहुत अच्छा टाइप करती है भानी। शानदार लेखन इस उमर में। आगे बहुत तरक्की करेगी। बिटिया को आशीष!

Gyan Dutt Pandey said...

बिटिया को बहुत प्यार। वह टाइप कहां; कविता कर रही है!

बोधिसत्व said...

भानी को आप सब का आशीष दे दिया है। मैं इस स्नेह के लिए आभारी हूँ। भानी का कहना है कि मैंने उसका टाइप किया हुआ अपने ब्लोक पर क्यों डाला।

ePandit said...

वाह बिटिया को पूरे अंकों से पास किया जाता है। नन्हीं बच्ची को हमारा प्यार और आशीर्वाद दीजिएगा।

PD said...

भैया, पढ कर बस मजा आ गया..
इतनी अच्छी रचना आप तो कभी लिख ही नहीं सकते.. बिटिया को गोद में उठाकर प्यार करने का मन कर रहा है... :)

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