मुंबई का नया कथाकार ब्लॉगर
मुंबई के ब्लॉगाकाश में एक और सूरज प्रकाशित हुआ है या कहें कि उगा है । इस नए ब्लॉगर का नाम है सूरज प्रकाश और उनका ब्लॉग है कथाकार ।सूरज प्रकाश वैसे भी मुंबईवालों को अपने प्रकाश से चकित करते रहे हैं पर यहाँ चौकाने वाली बात है उनका लिंग जिसकी तरफ मेरा ध्यान बनारसी ब्लॉगर भाई अफलातून जी ने खीचा। कथाकार का ब्लॉगीय प्रोफाइल पढ़कर परेशान हो गये अफलातून जी ने मुझसे पूछा कि यह कथाकार सीपीआई एम एल या लिबरेशन से जुड़े हैं क्या। क्योंकि कथाकार का लिंग है माले। मेरी जानकारी में कथाकार सूरज प्रकाश का लिंग भले ही माले हो पर उनका माले की राजनीति और माले गाँव में हुए धमाकों से कोई सीधा या टेढ़ा नाता नहीं है।
इस कथाकार के लिंग निर्धारण में भारतीय वामपंथियों और लेखकों का कोई लेना देना नहीं है। पर यह बात मैं दावे से नहीं कह सकता । माले के कुछ लोगों को जानता मानता हूँ पर उनकी तमाम गतिविधियों का मुझे कुछ पता नहीं रहता।
अफलातून जी की ही तरह मैं भी कथाकार के लिंग को लेकर उलझन में हूँ। पुरुष- स्त्री और तीसरे लिंग के अलावा यह माले लिंग क्या बला है। इस लिंग के बारे में मेरा अज्ञान मुझे तकलीफ दे रहा है। जिनके पास लिंग ज्ञान हो या जो ज्ञान लिंगी हों मुझे और अफलातून जी को बताएँ कि माले लिंग की और तारीफ क्या है।
मुंबई के ब्लॉगाकाश में एक और सूरज प्रकाशित हुआ है या कहें कि उगा है । इस नए ब्लॉगर का नाम है सूरज प्रकाश और उनका ब्लॉग है कथाकार ।सूरज प्रकाश वैसे भी मुंबईवालों को अपने प्रकाश से चकित करते रहे हैं पर यहाँ चौकाने वाली बात है उनका लिंग जिसकी तरफ मेरा ध्यान बनारसी ब्लॉगर भाई अफलातून जी ने खीचा। कथाकार का ब्लॉगीय प्रोफाइल पढ़कर परेशान हो गये अफलातून जी ने मुझसे पूछा कि यह कथाकार सीपीआई एम एल या लिबरेशन से जुड़े हैं क्या। क्योंकि कथाकार का लिंग है माले। मेरी जानकारी में कथाकार सूरज प्रकाश का लिंग भले ही माले हो पर उनका माले की राजनीति और माले गाँव में हुए धमाकों से कोई सीधा या टेढ़ा नाता नहीं है।
इस कथाकार के लिंग निर्धारण में भारतीय वामपंथियों और लेखकों का कोई लेना देना नहीं है। पर यह बात मैं दावे से नहीं कह सकता । माले के कुछ लोगों को जानता मानता हूँ पर उनकी तमाम गतिविधियों का मुझे कुछ पता नहीं रहता।
अफलातून जी की ही तरह मैं भी कथाकार के लिंग को लेकर उलझन में हूँ। पुरुष- स्त्री और तीसरे लिंग के अलावा यह माले लिंग क्या बला है। इस लिंग के बारे में मेरा अज्ञान मुझे तकलीफ दे रहा है। जिनके पास लिंग ज्ञान हो या जो ज्ञान लिंगी हों मुझे और अफलातून जी को बताएँ कि माले लिंग की और तारीफ क्या है।
सूरज प्रकाश एक अच्छे कथाकार हैं। मुंबई से जुड़ी कहानियों का संपादन मुंबई एक के नाम से कर चुके हैं। कभी-कभी कविता लिख कर कवियों को डराते रहते हैं। चार्ली चैपलिन की आत्मकथा का उनका अनुवाद आधार प्रकाशन पंचकूला से प्रकाशित हो चुका है। साहित्य की दुनिया में कुछ कर गुजरने के लिए इस बेचैन और परेशान आत्मा का ब्लॉग जगत में स्वागत है। आप लोग नामी- बेनामी- गुमनामी टिप्पणियों से सूरज को अर्ध्य दें आलोचना करें यह आप पर है।
21 comments:
बोधि भाई,
स्वागत है सूरज प्रकाश जी का...कथाकार मुम्बई के ही नहीं, भारत के ब्लागाकाश पर चमकें, यही कामना है...
सूरज पर समूचा प्रकाश डाल दिया आपने । कोने-कोतरे तक प्रकाशित हैं ! चिट्ठेकारी में रैगिंग ? उन्हें बधाई।
चलिए जो उनसे परिचित नही थे उनसे इस लिंग विवेचना के बहाने आपने उनका परिचय तो यहां अच्छे से करवा दिया । शुक्रिया!!!
स्वागत है उनका यहां शुभकामनाओं के साथ, जो उन्हे अब तक नही पढ़ सके है वे यहां पढ़ लेंगे!
सबै माले (Male) हैं। क्या करें, विचारधारा नापसन्द है तो जेण्डरवा बदल लें!
अच्छा है ! :)
सरजी पोस्ट का हैडिंग तो विकट होलीनुमा है। अफलातूनजी तो सच्चे के ही अफलातून हैं। हम तो उन्हे अफलातून समझते थे, पर वो अफलातून ही निकले।
भई वाह, वाह।
सूरज जी को बधाई..
नये लिंग की....
ज्ञान भाई
हम तो माले लिंग पर कुछ ज्ञान की पिपासा से देख रहे थे पर आप ने तो कुछ और ही सुझाव दे दिया....मैंने सूरज जी तक आपका संदेश पठा दिया है। अब उन पर है कि वो क्या करें क्या नहीं....आप्टर ऑल मामला उनके लिंग का है...
मेरे लिए इससे बड़ी बात क्या होगी कि नीलिमा ने मेरी तारीफ की। यह मेरे लिए एक अलग महत्व की टिप्पणी है...नीलिमा जी आपका आभारी हूँ....और आपकी पोस्ट की राह देख रहा हूँ....
ಬೋಧಿಸತ್ವ ಜೀ ಆಪಕಾ ಲಿಗ ಖೋಲ ಕರ ಲೋಗೋ ಕೋ ದಿಖಾ ರಹೇ ಹೈ. ಪ್ರದರ್ಶನಕಾರೀ ಇಸೀ ಕೋ ಬೋಲತೇ ಹೈ ಅಪನಾ ನಹೀ ಕಿಸೀ ಔರ ಕಾ ಸಹೀ
मित्रों
बसंत भाई का लिखा आप पढ़ पा रहे हों तो मुझे भी बता दें कि वो क्या कहना चाह रहे है....
ऐसा लग रहा है कि वे किसी गुप्त भाषा में सूरज जी के लिंग सत्यापन संबंधी कोई सूचना दे रहे हैं....
बसंत आर्य का कहना है-
"बोधिसत्व जी आपका लिग खोल कर लोगो को दिखा रहे है. प्रदर्शनकारी इसी को बोलते है अपना नही किसी और का सही"
अब यदि कोई भविष्य में अन्य भारतीय भाषाओं में टिप्पणी करे तो उसे गिरगिट के जरिए हिन्दी में बदल सकते हैं. पता है-
http://devanaagarii.net/hi/girgit/
आप ऐसे ही नहीं ब्लॉग गुरु है रतलामी साहब। आपका संदेश सूरज जी तक चला गया है....वाह बंसंत भाई आपने तो मेरे साथ ही अपना प्रदर्शन भी कर दिया।
सूरज जी के नव-ब्लॉग का परिचय कराने का शुक्रिया। अभी-अभी उनकी पहली पोस्ट (मुम्बई से संबद्ध) पढ़ी।
सब को एक साथ प्रणाम. बोधिसत्व जी ने ब्लॉब बिरादरी में मेरी आमद करा दी. ठीक ही रहा. वरना माले लिंग वाले को भीतर कौन आने देता. वैसे तो बोधिसत्व जी बहुत भले आदमी हैं लेकिन किसी से परिचय होते ही या उसका परिचय देते समय सबसे पहले सामने वाले का लिंग देखते हैं और पकड़ कर बैठ जाते हैं. अब क्या कहा जाये. यहां की बिरादरी में तो सभी माले वाले भरे पड़े हैं, यकीन न हो तो अपनी अपनी प्रोफाइल देख लें. कहीं कहीं तो तस्वीर के नीचे साफ साफ लिखिस है- पूरा आकार देखें. सम्पादक की ज़रूरत यहीं महसूस होती है. मुझे नहीं पता था, आते ही ऐसे ऐसे बदमाशों से पाला पड़ेगा. खैर अब जब आ ही गये हैं तो यहीं ठसके से रहेंगे और काम करेंगे. खूब पढ़ेंगे और पढ़ायेंगे.
सूरज प्रकाश
माले संबंधी जानकारी देने की जगह हर एक ने अपना-अपना लिंग पुराण दिखाना शुरू कर दिया । सीरज भाई आपका जो भी हो आप आ ही गए हैं तो विराजिए और चपिए....पर अपना सब कुछ संभाल कर .....
भाइयों......
बोधिसत्व का प्रोफाइल देखें....
उनका खुद का लिंग भी माले ही है....
इसी को कहते है
चिराग तले अंधेरा....।
क्या बोधि भाई, आपको पकड़ने के लिए यही मिला था! खैर इसी बहाने आपने सूरज प्रकाश के ब्लोग से परिचित कराया, इसके लिए धन्यवाद.
बोधिजी इतनी तरह के लिंग-विश्लेषण हो लिया है, लगता है कि आप लिंग के नामवर हो लिये हैं।
बोधिभाई आज तो आपने समा बांध दिया। सूरजप्रकाशजी का स्वागत तो लगता है बहाना था, आप खुद होली मूड में थे ही , तो ब्लागर साथी क्यों पीछे हटते भला ?
सूरजी हमारे वरिष्ठ है और उनका लाभ अब हमे यकीनन मिलेगा। उनका घनघोर स्वागत तो आपने करा ही दिया है अब वे भी कमर कस चुके हैं ।
बहुत मज़ा आया।
आपका मेल एड्रेस फिर गायब दिख रहा है आपकी साइट पर मेरे पीसी में ।
क्या कहें?? बोधि जी की जय हो!!! :)
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