अगर अमर होना है तो नाम बदल लो
कबीर साहेब को अमर होने के लिए राम के नाम का सहारा था लेकिन भानी तो अपने नाम के सहारे ही अमर होने का सूत्र पा गई हैं। भानी मेरी पाँच साल की बेटी है। कल वह मेरे पास आई और बोली पापा मैं कभी मरूँगी नहीं, क्योंकि जिनका नाम भानी होता है वे कभी मरते नहीं। चाहे मैं फिफ्टी इयर की हो जाऊँ या टू थाउजेंड इयर या ट्वेंटी इयर की मैं कभी भी नहीं मरूँगी। लेकिन तुम सब मर जाओगे। तो न मरना हो तो अपना नाम बदल कर भानी रख लो। मैंने कहा एक घर और चार भानी। कैसा रहेगा। तो भानी ने कहा कि नहीं दादी का भी नाम भानी रखना पड़ेगा। सब का नाम बदलना पड़ेगा।
तो भाई अब से मैं भानी हूँ बोधिसत्व या अखिलेश नहीं क्योंकि मैं मरना नहीं चाहता। आप लोग भी अगर अमर होना चाहते हैं तो फटाफट अपना नाम बदल कर अमर हो जाएँ। अमर होने का इतना सस्ता उपाय कभी नहीं मिलेगा। यह सुनहरी मौका चूकिए मत। नहीं तो फछताना पड़ेगा।
मेरे पूछने पर भानी ने बताया कि उसे नाम के कारण अमर होने का यह मोहक विचार उसके सहोदर भाई मानस ने दिया है। किसी फिल्म में कोई पात्र मर गया तो भानी ने उदास होकर पूछा कि यह क्यों मरा । भाई साहब जल्दी में थे तो कह दिया कि इसका नाम भानी नहीं था, इसलिए मर गया। इसका नाम भानी रहा होता तो यह न मरता। खैर अभी तो भानी अमर होने की खुशी में खेल रही हैं। मैं उनकी यह खुशी क्यों छीनूँ। मैं तो दुआ ही करूँगा कि वह सच में अमर हो जाए।
Friday, October 2, 2009
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26 comments:
भानी और मानस को ढेर सारा प्यार ।
सुन्दर। भानी के साथ जुड़े सब लोग अमर रहें। हम भी जुड़ रहे हैं इसी बहाने बमार्फ़त इस पोस्ट के।
hamaarii bhii yshii duaa hai ki bitiya amar ho jaaye
बच्चे इसी लिये प्रिय होते हैं कि उनके पास गूढ़ समस्याओं के बहुत सरल समाधान होते हैं!
देखिएगा संभल कर अब कोई इस नाम को पेटेंट न करवा ले !
भानी बहुत क्यूट है
और मेरे पास भी नाम बदलने के लिए एक मानू है फिलहाल वह मुस्कुरा रही है.
तुम तो जानते हो मैंने अपना नाम तो बहुत पहले ही भानी कर लिया था..
भानी को याद दिलाओ - मैं भानी बोल रहा हूँ..
अनूप जी
नाम तो बदलना पड़ेगा, भानी के साथ जुड़ने से बात नहीं बनेगी
भानी और मानस ..अपने नाम ही उधार दे दो ना plzz...कभी नहीं चुकाने वाला उधार ...
भानी और मानस को बहुत दुलार ...!!
आमीन।भानी बिटिया और उसके परिजन और सारे दोस्त अमर हो जायें।
भ्रम में वाकई बड़ा आनंद है.
- विवेक सिंह भानी
भानी की मोहने वाली बातें "आभा","तरंग" सभी जगह पढ़ने मिलती हैं…ढ़ेर सा स्नेह भानी/नानी को
अभय भाई
आप का नाम भानी है यह याद दिलाने के लिए उससे बात करें। सुबह मैने उसे याद दिलाया तो वह बोल रही है कि उसे याद नहीं।
बोधिभाई जब मैने पहली बार आपकी कविता पढ़ी थी तो कविता के अलावा जिस बात ने मुझे प्रभावित किया था वह था आपका नाम । मैने किसी मित्र से ..शायद नासिर से कहा भी था कि हमारे यहाँ बोधिसत्व की परम्परा रही है और यह नाम तो हमेशा अमर रहेगा । आज यह भी पता चला कि जिनका नाम भानी है वे भी अमर हैं तो भानी से कहना शरद चाचा ने अपना नाम भानी शरद रख लिया है ।
शरद भाई
आपकी बात भानी तक पहुँच गई है.....वह खुश है और उलझन में भी है। भानी शरद.....
इतनी प्यारी भानी के साथ रहने का मौका मिले तो मैं भी अमर होना चाहूंगा।
भानी नाहर? हां भानी शरद की तुलना में यह ज्यादा सहज लग रहा है। :)
यह टिप्पणी भानी बेंगाणी कर रहा है....
बमुश्किल ऊँचा कवि बनने के चक्कर में अभी अभी अपना नाम बदल कर बोधिसत्व किए थे, अब अमर होने के चक्कर में...फिर...सारी स्टेशनरी बेकार गई. अब नई छपवाते हैं.
भानी जैसी प्यारी भानी की बातें.
Bhani to amar ho hi gayi ab...
ham jab tak jiyenge ab kahan bhoolenge bhala aur shayad apni aanewaali pidhi mein ek-do ko Bhani naam de hi dein ham kya pata..
Bhani aur Manas dono ko bahut bahut pyar..
मन से सशक्त कुछ भी नहीं.
भानी को ढेर सारा प्यार....वैसे स्त्रियां यूं भी नहीं मरतीं...हर अगली पीढ़ी उन्हीं का विस्तार होती है..मन का ही नहीं शरीर का भी..
और मानस का जवाब बताता है कि कवि होने के पूरे गुण हैं...जय हो..
बोधिसत्व जी,
भानी को कहिये ना कि प्रदीप चाचा भी अमर होना चाह रहे है और उनके परिवार वाले भी. सो हम सबको भी अपना ही नाम रखने की इज़ाजत दे दे.
भानी और मानस को ढेर सारे प्यार के साथ...
आज भी ये पोस्ट ’भानी’ ही है.. जाने कैसे, कहा से टपक पडा यहा पर... शायद भानी से मिलने.. :)
are, bhani sahiba se judi hui yar post mujhse kaise baaki rah gai thi padhne ke liye,
bhaani se muaafi samet abhi padhi maine yah...
so sweet n cute......
भानी का आइडिया तो जबरदस्त है...
ढेर सारा प्यार भानी और मानस को
आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ। भटक रहा था, इस पोस्ट पर आज के ब्रेक लग गये।
भानी के लिये बहुत बहुत शुभकामनायें। उसके मन की सब बात पूरी हों।
और एक संयोग - मेरे बेटे का नाम भी मानस ही है। पहली बार उसके हमनाम के बारे में जाना, नहीं तो लोग सुनकर मानव या भलामानस ऐसा ही कुछ समझते थे:)
विचार मिलें या न मिलें, पढ़ने में मजा आ रहा है।
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