Monday, July 9, 2007

मुंशी प्रेम चंद की कविताएं ..............................................................


यहाँ कुछ उन कविताओं या काव्यांशों को चिपका रहा हूँ जिन्हे कथा सम्राट प्रेम चंद की कहानियों में जगह मिली है। यह किसकी रचनाएं हैं यह जानने से कहीं महत्वपूर्ण है कि ये प्रेम चंद की पसंदीदा कविताएं हैं, पसंदीदा मैं इसीलिए कह पा रहा हूँ क्योंकि ये कविताएं आज यहाँ जीवन पा रही हैं, कविताएं ऐसे भी जिंदा रहती हैं । यह सिलसिला चलता रहेगा, आज पढ़िये प्रेम चंद की पसंद में दो कविताएं। शीर्षक मेरे दिए हैं

पहली कविता

क्या तुम समझते हो ?

क्या तुम समझते हो मुझे छोड़कर भाग जाओगे ?
भाग सकोगे ?

मैं तुम्हारे गले में हाथ डाल दूँगी,
मैं तुम्हारी कमर में कर-पाश कस लूँगी,
मैं तुम्हारा पाँव पकड़ कर रोक लूँगी,
तब उस पर सिर रख दूँगी,

क्या तुम समझते हो,
मुझे छोड़ कर भाग जाओगे ?
छोड़ सकोगे ?

मैं तुम्हारे अधरों पर अपने कपोल
चिपका दूँगी,
उस प्याले में जो मादक सुधा है-
उसे पीकर तुम मस्त हो जाओगे।
और मेरे पैरों पर सिर रख दोगे।

क्या तुम समझते हो मुझे छोड़ कर भाग जाओगे ?।
( यह कविता रसिक संपादक कहानी से है और वहाँ इसकी रचनाकार कामाक्षी हैं )

दूसरी कविता

माया है संसार

माया है संसार सँवलिया, माया है संसार
धर्माधर्म सभी कुछ मिथ्या, यही ज्ञान व्यवहार,
सँवलिया माया है संसार।
गाँजे, भंग को वर्जित करते, है उन पर धिक्कार,
सँवलिया माया है संसार।

( यह पद गुरु मंत्र कहानी से)

5 comments:

Rajesh Tripathi said...

कहानी और उपन्यास के बाद मुंशी प्रेमचंद की कविता पहली बार पढ़ी। अच्छा लगा सर जी।

बोधिसत्व said...

इनमें रचयिता जरूरी नहीं की प्रेम चंद ही हों। लेकिन कुछ लेखक अपने पात्रों को उचित पंक्तियाँ देने के लिए कविताएं कभी-कभी लिख भी देते हैं । ये कविताएं प्रेम चंद द्वारा उद्धृत अवश्य हैं ।

परमजीत सिहँ बाली said...

मंशी प्रेमचंद की कविताएं पहली बार पढनें को मिल रही हैं।बधई\

mamta said...

प्रेमचंद ji की कवितायेँ पढ़कर बहुत अच्छा लगा क्यूंकि कहानियाँ तो बहुत पढी है पर कविता पहली बार ही पढ़ रहे है।

बोधिसत्व said...

मैं फिर कहूँगा, ये प्रेम चंद के द्वारा उल्लिखित कविताएं हैं लिखित नहीं।